UP: योगी सरकार ने डॉक्टरों के दो साल के सेवा बांड में दी बड़ी राहत, 5 हजार से अधिक डॉक्टरों को होगा लाभ
By राजेंद्र कुमार | Updated: September 30, 2024 18:43 IST2024-09-30T18:43:49+5:302024-09-30T18:43:49+5:30
चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, अब यदि डॉक्टरों का चयन सीजीएचएस सहित अन्य किसी भी भर्ती बोर्ड के तहत उत्तर प्रदेश के अस्पताल में चयन होता है तो उसे अनिवार्य शासकीय सेवा बांड से राहत मिलेगी।

UP: योगी सरकार ने डॉक्टरों के दो साल के सेवा बांड में दी बड़ी राहत, 5 हजार से अधिक डॉक्टरों को होगा लाभ
लखनऊ:उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार सूबे की स्वास्थ्य सेवाएं दुरुस्त करने के लिए तरह-तरह के प्रयोग कर रही है। इसी क्रम में सरकार ने एमबीबीएस के बाद प्रदेश में नौकरी करने वाले डाक्टरों को सेवा बांड में बड़ी राहत दी है। अब डाक्टरों को दो साल से पहले नौकरी छोड़कर दूसरे राज्य में जाने पर सेवा बांड का बचा समय पूरा करना होगा। इस संबंध में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने आदेश पारित कर दिया है. इस फैसले से करीब पांच हजार डॉक्टरों को फायदा होगा।
ऐसे मिली राहत
अभी तक प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस करने वाले डॉक्टरों पर अनिवार्य शासकीय सेवा बांड की शर्तें लागू हैं। इसके तहत सरकारी कॉलेजों से एमबीबीएस, एमडी, एमएस अथवा डीएस-एमसीएच की डिग्री लेने वाले डॉक्टरों को इंटर्नशिप पूरी करने के बाद सरकारी अस्पताल या चिकित्सा संस्थान में दो साल अनिवार्य रूप से सेवा देना अनिवार्य है। ऐसा न करने पर डॉक्टर को 10 लाख का जुर्माना भरना होगा। वर्ष 2018 के उत्तीर्ण एमबीबीएस व बीडीएस के 2050 डॉक्टरों पर ये सेवा शर्त लागू की गई थी। इन सेवा शर्तों में संशोधन कराने के लिए डॉक्टरों का एक प्रतिनिधिमंडल सीएम योगी से मिला था।
इन डॉक्टरों ने सीएम योगी को बताया था कि उक्त सेवा शर्तो के चलते उन्हे कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। इस सेवा शर्तों के कारण एमबीबीएस के बाद जिन डॉक्टरों का चयन नीट पीजी में नहीं होता है और वे शासकीय सेवा में जाना चाहते हैं लेकिन अनापत्ति प्रमाण पत्र ना मिलने से वह नौकरी नहीं कर पाते। बता जा रहा डॉक्टरों के कथन से सहमत होते हुए सीएम योगी ने उनकी मांगों पर विचार करने की बात कही थी। इसी के बाद डॉक्टरों की सेवा शर्तों में राहत दी गई है।
यह मिली है राहत
चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, अब यदि डॉक्टरों का चयन सीजीएचएस सहित अन्य किसी भी भर्ती बोर्ड के तहत उत्तर प्रदेश के अस्पताल में चयन होता है तो उसे अनिवार्य शासकीय सेवा बांड से राहत मिलेगी। बशर्ते वह दो साल तक प्रदेश के अस्पताल में सेवा दे. इसी तरह एमडी के लिए निजी कालेज में चयनित होने पर भी एमडी की पढ़ाई की छूट मिलेगी। एमडी का कोर्स पूरा करने की बाद एमबीबीएस बांड की सेवा शर्ते पूरी करनी होगी।
यूपी में एमबीबीएस की सीटें
प्रदेश में साढ़े सात वर्ष में एमबीबीएस की सीटों में 108 प्रतिशत तो पीजी की सीटों में 181 प्रतिशत की बढोतरी हुई है। वर्ष 2016-2017 में कुल 39 मेडिकल कॉलेज थे। इनमें 14 सरकारी और 25 निजी कॉलेज थे। अब प्रदेश में कुल 78 मेडिकल कॉलेज संचालित हैं। इनमें 43 सरकारी और 35 निजी मेडिकल कॉलेज हैं। वर्ष 2016-2017 में प्रदेश में एमबीबीएस की कुल सीटें 5,390 थी।
इनमें एमबीबीएस की 1,840 सीटें सरकारी और 3550 सीटें प्राइवेट थीं। वर्ष 2024-25 में कुल सीटें 11,200 हैं। इनमें 5150 सरकारी और 6050 निजी कॉलेजों में हैं। पीजी की वर्ष 2016-17 में 1,344 सीटें थी, वर्ष 2024-25 में 3,781 हो गई हैं। इनमें 1,759 सरकारी और 2022 निजी कॉलेज में हैं।