UP News: "दलित समाज को सत्ता की चाबी हासिल करना जरूरी", कांशीराम की 91वीं जयंती पर बोलीं बसपा सुप्रीमो मायावती
By राजेंद्र कुमार | Updated: March 15, 2025 18:06 IST2025-03-15T18:06:22+5:302025-03-15T18:06:22+5:30
इस मौके पर मायावती ने कांशीराम को याद करते हुए उनके सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक मुक्ति के आंदोलन को और मजबूत करने का संकल्प लिया.

UP News: "दलित समाज को सत्ता की चाबी हासिल करना जरूरी", कांशीराम की 91वीं जयंती पर बोलीं बसपा सुप्रीमो मायावती
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने शनिवार को बसपा के संस्थापक कांशीराम की 91वीं जयंती पर उनके चित्र पर पुष्पार्पित करके उन्हें नमन किया. इस मौके पर मायावती ने कांशीराम को याद करते हुए उनके सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक मुक्ति के आंदोलन को और मजबूत करने का संकल्प लिया.
यह भी कहा कि बहुजन समाज को गरीबी, बेरोजगारी, शोषण, उत्पीड़न, पिछड़ेपन, जातिवाद, सांप्रदायिक हिंसा और तनाव की कष्टपूर्ण जिंदगी से मुक्ति पाने के लिए अपने बहुमूल्य वोट की ताकत को समझना होगा. और बहुजन समाज को एकजुट रहकर सत्ता की चाबी को फिर से हासिल करना होगा. बहुजन समाज को अपने जीवन में परिवर्तन लाने के लिए यह जरूरी है.
खुद को आयरन लेडी कहा :
कांशीराम की जयंती पर बहुजन समाज को यह संदेश देते हुए मायावती ने खुद को 'आयरन लेडी' बताया. मायावती का दावा है कि यूपी की विशाल आबादी ने देखा है कि कैसे 'आयरन लेडी' (मायावती) के नेतृत्व में बसपा कथनी से ज्यादा करनी में विश्वास रखती है. यूपी की सत्ता में रहने के दौरान हमने बहुजनों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किया और उनके अच्छे दिन लाए. जबकि, अन्य दलों द्वारा किए गए अधिकांश दावे निराधार और भ्रामक साबित हुए.
मायावती के अनुसार, दूसरी पार्टियों और सरकारों ने हवा-हवाई दावे किए, लुभावनी घोषणाओं और दावों में अच्छे दिन लाने के हसीन सपनों से लोगों को बरगलाया है, ऐसे चक्रव्यूह में फँसकर लोग आज त्रस्त हैं. मायावती ने यह भी कहा कि देश में तेजी से पनप रहे धर्म, क्षेत्र, जाती संप्रदाय तथा भाषा के विवाद गंभीर चिंता का विषय है, इन सबको लेकर सरकारी नीति में सुधार जरूरी है.
जातीय जनगणना जरूरी :
अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से निकालने के बाद पहली बार शनिवार को मायावती ने घर के बाहर किसी कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का नाम लिए हुए ही उसकी नीतियों की आलोचना की. जातीय जनगणना और लोगों के रोजगार के सवाल को उठाया. जातीय जनगणना के सवाल को उठाते हुए मायावती ने कहा कि जनगणना से जनकल्याण की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा संविधान में राष्ट्रीय जनगणना का प्रावधान किया गया.
लेकिन अब राष्ट्रीय जनगणना लंबित रहना गुड गवर्नेंस कत्तई नहीं है. जनगणना नहीं कराने पर संसदीय समिति नें भी अपनी चिंता व्यक्त की है. देश और समाज के विकास को नई दिशा देने के लिए जातीय जनगणना के महत्व से इंकार नहीं किया जा सकता और इसके प्रति अपेक्षित गंभीरता निभाने के लिए सरकार को जरूरी कदम शीघ्र उठना चाहिए.
मायावती ने लोगों के रोजगार का मुद्दा भी उठाया और कहा है कि रोजी-रोटी का जबर्दस्त अभाव में लोगों के खाली हाथ, खाली दिमाग देशहित को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं. कांशीराम ने हर हाथ को कम देने की जो नीति शुरू की थी, वह दूसरी पार्टियों के हवा हवाई बातों ने भुला दी है, इस कारण यूपी की जनता का जीवन लगातार बदहाल और त्रस्त है.
कांशीराम ने बहुजन समाज को एकजुट किया :
बसपा संस्थापक कांशीराम को लेकर भी मायावती विस्तार के बोली. उन्होंने कहा कि 15 मार्च 1934 को पंजाब के रूपनगर में जन्मे कांशीराम ने पिछड़ा वर्ग के लोगों के उत्थान और राजनीतिक लामबंदी के लिए काम किया. उन्होंने 1971 में अखिल भारतीय पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक समुदाय कर्मचारी महासंघ (बामसेफ) की स्थापना की. 1981 में दलित शोषित समाज संघर्ष समिति की स्थापना की. फिर 1984 में बसपा का गठन किया.
कांशीराम वर्ष 1991 में यूपी के इटावा से और वर्ष 1996 में पंजाब के होशियारपुर से लोकसभा सदस्य चुने गए. वर्ष 1998 से वर्ष 2004 तक उन्होंने राज्यसभा सदस्य के रूप में भी काम किया. 9 अक्टूबर वर्ष 2006 को 71 वर्ष की आयु में दिल्ली में उनका निधन हो गया. कांशीराम ने बहुजन समाज को एकजुट किया यह दावा भी मायावती ने किया.