आगरा: कोरोना वायरस की संदिग्ध मरीज को छुपाने और लगातार प्रशासन को गुमराह करने के अपराध में आगरा के एक रेलवे अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है. आरोपी ने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की टीम को कोरोना वायरस से संदिग्ध संक्रमित बेटी के घर में होने पर भी गुमराह किया था.
आरोपी के खिलाफ 123 साल पुराने एपिडेमिक एक्ट की धारा 269 और 270 लगाई गई है. कोरोना वायरस को लेकर एपिडेमिक ऐक्ट के तहत उत्तर प्रदेश में यह पहली कार्रवाई है. इटली में हनीमून मनाकर बेंगलुरु लौटी आगरा की एक दुल्हन के पति में कोरोना वायरस की पुष्टि होने के बाद आइसोलेशन वार्ड से भागकर दिल्ली होते हुए वह अपने मायके आगरा में आकर छिप गई थी.
वहीं, महिला के पति ने उन पर लगाए गए आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि उनके टेस्ट से पहले ही उनकी पत्नी आगरा चली गई थीं. उन्हें पता नहीं था कि वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.
आगरा के जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह ने कहा कि महिला के पति के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें भी सेपरेशन वॉर्ड में रुकने के लिए कहा गया था लेकिन वह आगरा चली गईं. जब उनकी टीम आगरा पहुंची तो महिला के परिजन ने कहा कि वह दिल्ली के रास्ते बेंगलुरु चली गईं.