UP Election 2022: उत्तर प्रदेश चुनाव में जातीय समीकरण करेंगे हार-जीत का फैसला, जानें क्या है आंकड़े
By शीलेष शर्मा | Published: January 16, 2022 07:30 PM2022-01-16T19:30:11+5:302022-01-16T19:32:05+5:30
UP Election 2022: भाजपा ने 105 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। पहली सूची में भाजपा ने चार महिला विधायकों विमला सोलंकी, उषा सिरोही, संगीता चौहान और अनीता राजपूत के टिकट काटे हैं तो वहीं दस महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश चुनाव में जातीय समीकरण राजनीति पर हावी हैं। भाजपा, कांग्रेस, सपा और दूसरे दलों के बीच जहाँ जातीय आधार पर मतदाताओं के बीच गणित बैठाने की होड़ मची है।
वहीं भाजपा में इस बात को लेकर चिंता है कि ओबीसी और दूसरी छोटी जातियों को कैसे पालन में लाया जाये। भाजपा का दूसरा संकट पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के विरोध को लेकर बना हुआ है। अगर भाजपा के उम्मीदवारों की सूची पर नज़र डालें तो भाजपा ने सभी वर्गों को साधने की कोशिश की है।
जिसमें ओबीसी और सवर्ण भी शामिल हैं। 60 फीसदी से अधिक टिकेटें भाजपा ने पिछड़ों और दलितों के खाते में दी हैं। इसके विपरीत सपा का पूरा फोकस यादव, मुस्लिम और ओबीसी पर टिका हुआ है। भाजपा ने जहाँ 44 सीटें ओबीसी को दी हैं और 19 सीटें दलितों को दी है।
उसके विपरीत सपा ने ओबीसी, मुस्लिम और ब्राह्मणों और यादवों को कुल घोषित सीटों में से 60 से अधिक सीटें आवंटित कर दी हैं, जबकि कांग्रेस की निगाह महिला मतदाताओं पर है और उसने अपनी पहली सूची में 50 महिलाओं को टिकट दिया है।
लगभग 20 फीसदी टिकटें ब्राह्मण चेहरों को, 19 फीसदी मुस्लिम चेहरों को और शेष ओबीसी और अन्य पिछड़ों को दी हैं। भाजपा की सूची में 18 राजपूत, 10 ब्राह्मण, 8 वैश्य, 3 पंजाबी, 2 कायस्थ तथा 2 त्यागी समुदाय के हैं। उसका पूरा फोकस सवर्णों पर टिका है, ताकि धर्म के नाम पर वह चिनाव के दौरान चुनावी ध्रुवीकरण कर सके।
कांग्रेस ने 88 उम्मीदवार को पहली बार टिकट दे कर मैदान में उतारा है, जबकि 15 ऐसे उम्मीदवार हैं जो दोबारा अपनी किस्मत आजमाएंगे। तीसरी बार और चौथी बार किस्मत आजमाने वाले उम्मीदवारों की संख्या न के बराबर है। 33 दलित, 18 ब्राह्मण, 23 ओबीसी, 20 मुस्लिम, 3 सिख, 14 ठाकुर, और 10 वैश्य कांग्रेस की चुनावी जंग में उम्मीदवार होंगे। उत्तर प्रदेश और बिहार में जातीय समीकरण हमेशा से हावी रहे हैं। आधार पर हार जीत का फैसला होता रहा है।