UP Digital Attendance: शिक्षक विरोध का असर, डिजिटल अटेंडेंस स्थगित!, सात लाख से अधिक शिक्षकों को सभी विपक्षी दलों का मिला साथ
By राजेंद्र कुमार | Updated: July 17, 2024 12:41 IST2024-07-17T12:35:30+5:302024-07-17T12:41:14+5:30
UP Digital Attendance: शिक्षकों का तर्क था कि दूरदराज के गांवों में खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करना मुश्किल हो जाता है.

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UP Digital Attendance: उत्तर प्रदेश में सात लाख से अधिक शिक्षकों द्वारा डिजिटल अटेंडेंस के किए जा रहे विरोध का असर हुआ. प्रदेश सरकार ने डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम को दो महीने के लिए स्थगित कर दिया है. इस संबंध में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने आदेश जारी कर दिया है. शिक्षकों का तर्क था कि दूरदराज के गांवों में खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करना मुश्किल हो जाता है. इसलिए इस आदेश को रद्द किया जाए. शिक्षकों की इस मांग को लेकर मंगलवार को प्रदेश सरकार ने यह फैसला भी लिया है कि इस मामले में अब एक विशेषज्ञ समिति बनाई जाएगी जो अगले दो महीनों में शिक्षकों के मुद्दों पर विचार-विमर्श कर अपनी रिपोर्ट देगी उसके बाद ही इस मामले में आगे की रणनीति तय करेगी.
शिक्षकों को विपक्ष का मिला साथ
प्रदेश सरकार के इस फैसले से अब राज्य में बीते 8 जुलाई से चल रहा शिक्षकों का डिजिटल अटेंडेंस लगाने का विरोध खत्म हो गया. इस विरोध के कारण राज्य के डेढ़ लाख से अधिक स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पर रहा था और शिक्षकों का आंदोलन तेज होता जा रहा था. शिक्षकों की मांग का समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस ने भी समर्थन कर उसे हवा दे दी थी.
मंगलवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी यूपी के सरकारी स्कूलों में टीचर्स के डिजिटल अटेंडेंस के मुद्दे को उठाते हुए डिजिटल अटेंडेंस सरकार का जल्दबाजी में लाया गया और टीचर्स पर थोपा गया फैसला बताया. मायावती के इस बयान के बाद ही सूबे की सरकार मंगलवार को हरकत में आए और राज्य में डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम को अनिवार्य करने के जिस फैसले को लागू करने में सख्ती की जा रही थी, उसी फैसले को दो महीने के लिए स्थगित कर दिया है. शिक्षक संगठनों के साथ वार्ता करने के बाद मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने यह फैसला लिया है.
शिक्षकों के हक में फैसला लेकर दिया यह संदेश
इस फैसले के दो दिन पहले बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को डिजिटल अटेंडेंस लगाने के लिए 30 मिनट का ग्रेस दिया था. विभाग से मिली उक्त रियायत के बाद भी शिक्षकों की चिंता पूरी तरह से दूर नहीं हुई थीं और उन्होंने अपना विरोध जारी रखा. शिक्षकों का कहना था कि दूरदराज के गांवों में खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करना मुश्किल होता है.
बरसात के मौसम में, कई स्कूलों में पानी भर जाता है, जिससे समय पर उपस्थिति दर्ज कराना और भी मुश्किल हो जाता है. शिक्षकों को कहना था इस तरह ही तमाम समस्याओं के कारण उनके स्कूल में देर से पहुंचने पर उन्हें अनुपस्थित माना जाएगा और उनकी छुट्टियां काट ली जाएंगी. इस लिए डिजिटल अटेंडेंस लगाने की अनिर्यता खत्म की जाए.
शिक्षकों की इस मांग को उठाते हुए उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ (यूपीपीएसएस) ने प्रदेश सरकार के डिजिटल अटेंडेंस लगाने के आदेश को अव्यावहारिक बताते हुए उसे वापस लेने की मांग की थी. जिसे सरकार ने कुछ हद तक मान लिया है. कहा जा रहा है कि शिक्षकों की एकजुट के चलते ही सरकार ने अपने फैसले को स्थगित करने का फैसला किया.
क्योंकि शिक्षकों की नाराजगी प्रदेश सरकार की छवि को खराब कर रही थी. जनता में यह संदेश जा रहा था कि प्रदेश के अफसर मनाने फैसले ले रहे हैं और सरकार अपने चलते अफसरों के फैसलों पर छुपी साधे हुए हैं. इसलिए इस फैसले के जरिये योगी सरकार ने यह संदेश दिया है कि वह शिक्षकों के साथ हैं और उनका कोई फैसला थोपा नहीं जाएगा.