UP Cabinet Expansion: महाकुंभ खत्म अब मंत्रिमंडल विस्तार?, 75 साल के हो चुके मंत्रियों की छुट्टी, ब्राह्मण समाज से होगा नया यूपी बीजेपी अध्यक्ष!

By राजेंद्र कुमार | Updated: February 27, 2025 17:56 IST2025-02-27T17:54:58+5:302025-02-27T17:56:04+5:30

UP Cabinet Expansion: फेरबदल को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े के बीच लंबी बैठक हो चुकी है.

UP Cabinet Expansion Mahakumbh over now cabinet expansion ministers turned 75 leave new UP BJP president will be Brahmin community | UP Cabinet Expansion: महाकुंभ खत्म अब मंत्रिमंडल विस्तार?, 75 साल के हो चुके मंत्रियों की छुट्टी, ब्राह्मण समाज से होगा नया यूपी बीजेपी अध्यक्ष!

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Highlightsप्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर ब्राह्मण समाज के किसी नेता को लाया जाएगा.शीर्ष नेतृत्व के साथ चर्चा कर मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख तय करेंगे.वर्तमान में मंत्रिमंडल में 54 मंत्री हैं और छह जगह खाली हैं.

लखनऊः उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ के आयोजन का गुरुवार को समापन हो गया. अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ के आयोजन का क्रेडिट लेते हुए अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे. अभी सीएम योगी के मंत्रिमंडल में छह जगह खाली हैं. इस सीटों को भरने के लिए जिन लोगों को मंत्री बनाया जाना है, उनके नामों को फाइनल करने की कवायद गुरुवार से शुरू हो गई है. चर्चा है कि सीएम योगी नए मंत्रिमंडल में चार नए चेहरों को शामिल करते हुए तीन मंत्रियों को हटाएंगे. इसके अलावा चार से पांच मंत्रियों के विभागों में फेरबदल करेंगे. चर्चा यह भी है कि 75 साल के हो चुके मंत्रियों की मंत्रिमंडल से छुट्टी होगी. इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष को भी बदला जाएगा. प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर ब्राह्मण समाज के किसी नेता को लाया जाएगा.

योगी मंत्रिमंडल में अभी छह पद खाली

उत्तर प्रदेश में होने वाले इस फेरबदल को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े के बीच लंबी बैठक हो चुकी है. जल्दी ही सीएम योगी इस बैठक में हुई सहमति के आधार पर दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ चर्चा कर मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख तय करेंगे.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक नजदीकी मंत्री के अनुसार, वर्तमान में मंत्रिमंडल में 54 मंत्री हैं और छह जगह खाली हैं. वर्ष 2022 में जब सीएम योगी दूसरी बार यूपी के सीएम बने तब से अब तक सिर्फ एक बार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ था. तब सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को योगी सरकार में मंत्री बनाया गया था.

लोकसभा चुनाव के बाद जितिन प्रसाद, अनूप प्रधान के सांसद बनने से सीएम योगी इन दोनों सहयोगियों ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. अब इनके विभागों को सीएम योगी अपने चहेते मंत्री को देना चाहते हैं. फिलहाल ऐसी उठापटक के बीच यूपी के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने राज्य स्तर से फीडबैक लेने के बाद अपना होमवर्क पूरा कर लिया है. योगी के मंत्रिमंडल विस्तार में सामाजिक सामंजस्य पर फोकस रहेगा.

मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए हो रही उठापटक

इसी साथ ही मंत्रिमंडल में नये चेहरों को मौका देते हुए सीएम योगी अपनी नई टीम बनाएंगे, इसी टीम के कामकाज के भरोसे सीएम योगी अगले विधानसभा चुनाव में उतरेंगे. यही वजह है कि सीएम योगी इस बार साफ सुथरी छवि के लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल करने की तैयारी में हैं. वही दूसरी तरफ कुछ विधायक ऐसे भी हैं जिन्हे पार्टी के शीर्ष नेताओं का आशीर्वाद मिला हुआ है, वह भी मंत्री बनाने के इच्छुक हैं.

ऐसे ही एक विधायक लखनऊ से चुनाव जीते हैं. लेकिन इन्हे सीएम योगी अपने मंत्रिमंडल में तो जगह देने के पक्ष में नहीं हैं. विवादों में घिरे तीन मंत्रियों को भी सीएम योगी मंत्रिमंडल से हटाना चाहते हैं, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की सहमति मिली तो उन्हे मंत्रिमंडल से हटा दिया जाएगा या उनके विभाग बदल दिए जाएंगे.

यूपी में सपा के पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए)  को पस्त करने के लिए सीएम योगी पिछड़े और दलित समाज के युवा नेताओं को मंत्रिमंडल में लेना चाहते हैं. सीएम योगी के इस फार्मूले का केंद्र सरकार मे मंत्री रह चुके पार्टी के एक सीनियर नेता खिलाफत कर रहे हैं.

क्योंकि वह नहीं चाहते कि उनके जिले के दलित विधायक को इस फार्मूले के तहत मंत्री बनाए जाने का मौका मिले. इसी तरह भाजपा के एक दबंग पूर्व सांसद अपने बेटे को मंत्री बनाने के लिए दबाव बना रहे हैं. फिलहाल भाजपा के शीर्ष नेतृत्व मंत्रिमंडल में पिछड़े और दलित समाज के विधायकों को ज्यादा मौका देने के पक्ष में है.

दो सांसद और एक एमएलसी हुए सक्रिय

ऐसा नहीं है कि सिर्फ मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए ही रस्साकशी हो रही हैं. पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए भी नेताओं की दौड़ हो रही है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी की जगह पाने के लिए तमाम नेता ने अपने संपर्कों के जरिए शीर्ष नेतृत्व को अपना ब्यौरा पहुंचाया था. ऐसे तमाम नेताओं को अब यह संकेत मिला है कि इस बार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जाट या दलित समाज से नहीं होगा.

बल्कि ब्राह्मण समाज होगा. ताकि सवर्ण समाज को एकजुट करते हुए विपक्ष के चुनौती दी जाए. इसी फार्मूले के तहत यूपी में वर्षों पहले वीपी सिंह और एनडी तिवारी ने विपक्ष को पटखनी दी थी. पार्टी के शीर्ष नेताओं से मिले इस फीड बैक के तहत अब पार्टी में ब्राह्मण समाज के दो सांसद और एक एमएलसी अध्यक्ष बनाने के लिए सीएम योगी सहित पार्टी के अध्यक्ष से मिलने के लिए दिल्ली की दौड़ लगाने लगे हैं.  

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