यूपी बोर्ड के छात्र-छात्रा वीर सावरकर की जीवनी पढ़ेंगे, सिलेबस में हुए बदलाव से विपक्ष के नेता नाखुश

By राजेंद्र कुमार | Published: June 23, 2023 07:16 PM2023-06-23T19:16:02+5:302023-06-23T19:17:40+5:30

यूपी बोर्ड के करोड़ों छात्र-छात्राएं वीर विनायक दामोदर सावरकर, सरदार पटेल, छत्रपति शिवाजी, रामकृष्ण परमहंस, बिरसा मुंडा, मंगल पांडे सहित कुल 50 महापुरुषों की जीवनी पढ़ेंगे। इन 50 महापुरुषों में जवाहर लाल नेहरू का नाम नहीं है। 

UP Board students will read Veer Savarkar's biography, opposition leader unhappy with the change in syllabus | यूपी बोर्ड के छात्र-छात्रा वीर सावरकर की जीवनी पढ़ेंगे, सिलेबस में हुए बदलाव से विपक्ष के नेता नाखुश

यूपी बोर्ड के छात्र-छात्रा वीर सावरकर की जीवनी पढ़ेंगे, सिलेबस में हुए बदलाव से विपक्ष के नेता नाखुश

Highlightsवीर सावरकर का नाम सिलेबस में शामिल, प. नेहरू का नहींबोर्ड के इस नए सिलेबस को लेकर सूबे में विपक्ष और सत्ता पक्ष में रार छिड़ गई हैसपा-कांग्रेस ने सिलेबस में वीर सावरकर की जीवनी को जगह मिलने को स्वतंत्रता संग्राम का अपमान बताया

लखनऊ: कुछ दिनों पहले कर्नाटक सरकार ने आरएसएस के संस्थापक केबी हेडगेवार और हिंदुत्व विचारक वीडी सावरकर से संबंधित पाठ स्कूल की किताब से हटाए जाने का फैसला किया था। अब उसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने 9वीं से 12वीं तक की कक्षा के सिलेबस (पाठ्यक्रम) में बदलाव किया है।

अब यूपी बोर्ड के करोड़ों छात्र-छात्राएं वीर विनायक दामोदर सावरकर, सरदार पटेल, छत्रपति शिवाजी, रामकृष्ण परमहंस, बिरसा मुंडा, मंगल पांडे सहित कुल 50 महापुरुषों की जीवनी पढ़ेंगे। इन 50 महापुरुषों में जवाहर लाल नेहरू का नाम नहीं है। 

बोर्ड का नया सिलेबस शैक्षणिक सत्र 2023-24 से लागू किया जाएगा। ये नया सिलेबस यूपी बोर्ड से संबंधित सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में लागू होगा। बोर्ड के इस नए सिलेबस को लेकर सूबे में विपक्ष और सत्ता पक्ष में रार छिड़ गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने सिलेबस में वीर सावरकर की जीवनी को जगह मिलने को स्वतंत्रता संग्राम का अपमान बताया है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे स्वाभिमान से जोड़ा है। 

यूपी बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, बोर्ड की 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं के सिलेबस में हुए बदलाव के तहत 9वीं कक्षा के छात्र-छात्रा गौतम बुद्ध, वीर विनायक दामोदर सावरकर, छत्रपति शिवाजी, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, चंद्रशेखर आजाद, बिरसा मुंडा, वीर कुंवर सिंह, बेगम हजरत महल, श्रीनिवास रामानुजन, ज्योतिबा फूले, विनोबा भावे, और जगदीश चंद्र बोस के जीवन के बारे में पढ़ाई करेंगे। 

वहीं 10वीं कक्षा के छात्र-छात्राएं महात्मा गांधी, मंगल पांडेय, स्वामी विवेकानंद, लोकमान्य तिलक, ठाकुर रोशन सिंह, गोपाल कृष्ण गोखले, सुखदेव और खुदी राम बोस की जीवनी पढ़ेंगे. और 11वीं के छात्र-छात्राएं पं. दीन दयाल उपाध्याय, डॉ. भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, राजा राम मोहन राय, सरोजिनी नायडू, महावीर जैन, नाना साहब, डॉ. होमी जहांगीर भाभा, राम प्रसाद बिस्मिल, शहीद-ए-आजम भगत सिंह, अरविंद घोष, महामना मदन मोहन मालवीय और महर्षि पतंजलि की जीवन गाथा पढ़ेंगे,

जबकि 12वी के छात्र- छात्राएँ रवींद्रनाथ टैगोर, रामकृष्ण परमहंस, अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी, राजगुरु, रानी लक्ष्मी बाई, बंकिम चंद्र चटर्जी, महाराणा प्रताप, गुरु नानक देव, आदि शंकराचार्य, लाल बहादुर शास्त्री, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, पाणिनी, आर्यभट्ट, सीवी रमन और रामानुजाचार्य ने जीवन के बारे में जानेंगे।

विपक्ष का विरोध

यूपी बोर्ड द्वारा महापुरुषों की जीवनी पढ़ाने को लेकर सिलेबस में किए गए बदलाव को लेकर कांग्रेस ने नाराजगी जताई है. कांग्रेस के प्रवक्ता अंशु अवस्थी का कहना है, सिलेबस में वीर सावरकर को जगह दी गई है लेकिन देश के पहले प्रधानमंत्री प. जवाहर लाल नेहरू को भूला दिया गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है और राजनीति के तहत किया गया कार्य है। 

पं. नेहरू में महत्मा गांधी के साथ मिलकर देश की आजादी के लिए संघर्ष किया था। इस मामले में सपा के प्रवक्ता आशुतोष वर्मा कहते है कि भाजपा वीर सावरकर को आदर्श बनाना चाहती है, इसीलिए उन्हें सिलेबस में जगह दी गई है। यह ठीक नहीं है, इस लिस्ट में प. नेहरू का नाम भी होना चाहिए था, उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

भाजपा का तर्क 

विपक्ष के इस नेताओं के आरोपों पर भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी का कहना है कि स्वतंत्रता संग्राम के तमाम सेनानियों का नाम छुपाया गया था। केंद्र और राज्य भाजपा सरकार जो भी समाज सुधारक या स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे उन्हें सम्मान दिलाने का कार्य कर रही है।

इसी क्रम में यह कार्य किया जा रहा है और महापुरुषों को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी ने वादा भी किया था। जिसके तहत ही 50 महापुरुषों की जीवनी को कक्षा 9वीं से 12वीं तक के नैतिक, खेल एवं शारीरिक शिक्षा विषय में शामिल किया गया है।

इसे पढ़ना और परीक्षा में इस विषयों में पास होना अनिवार्य किया गया है। बोर्ड ने पाठ्यक्रम में महापुरुषों को शामिल करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया था, जिसे बाद इसे सिलेबस में शामिल किया गया है। इस मामले में विपक्ष विरोध गैर जरूरी है।

Web Title: UP Board students will read Veer Savarkar's biography, opposition leader unhappy with the change in syllabus

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