UP Assembly Elections 2022: यूपी में 'आयरन सरकार' की जरूरत, मायावती ने ट्वीट कर कहा-वोट की ताकत से तकदीर और तस्वीर बदलिए...
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 6, 2022 03:27 PM2022-03-06T15:27:45+5:302022-03-06T15:29:15+5:30
UP Assembly Elections 2022: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भाजपा और सपा पर ट्वीट कर हमला किया।
UP Assembly Elections 2022: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने रविवार को कहा कि राज्य की तकदीर बदलने के लिए बसपा की 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय' की 'आयरन सरकार' बनाना जरूरी है।
मायावती ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, "यूपी के नौ जिलों की 54 विधानसभा सीटों पर कल (सोमवार को) सातवें एवं अन्तिम चरण के मतदान में यहाँ गरीबी और बेरोजगारी के सताए हुए उपेक्षित लोग अपने वोट की ताकत से अपनी तकदीर तथा प्रदेश की तस्वीर बदलने का काम कर सकते हैं, जिसके लिए बसपा की सर्वजन हिताय एवं सर्वजन सुखाय की आयरन सरकार बनानी जरूरी है।"
1. यूपी के 9 जिलों की 54 विधानसभा सीटों पर कल 7वें व अन्तिम चरण के मतदान में यहाँ गरीबी व बेरोजगारी के सताए हुए उपेक्षित लोग अपने वोट की ताकत से अपनी तकदीर तथा प्रदेश की तस्वीर बदलने का काम कर सकते हैं, जिसके लिए बीएसपी की सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय की आयरन सरकार बनानी जरूरी।1/3
— Mayawati (@Mayawati) March 6, 2022
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, "यह जग-जाहिर है कि विरोधी पार्टियों के किस्म-किस्म के लुभावने वादे और आश्वासन सभी घोर वादाखिलाफी साबित हुई है। इनकी सरकारों में उत्तर प्रदेश के लोगों के हालात संभलने एवं वादे के मुताबिक अच्छे दिन लाने के बजाय लगातार बिगड़ती गई है। इसीलिए अब इनके बहकावे में नहीं आना ही होशियारी है।"
3. विरोधी पार्टियों ने धनबल सहित साम, दाम, दण्ड, भेद आदि सभी प्रकार के हथकण्डों को अपनाकर यूपी के चुनाव को अपने पक्ष में करने का खूब जतन किया, लेकिन जानलेवा महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, सरकार की निरंकुशता व आवारा पशु आदि से पीड़ित जनता अपने बुनियादी मुद्दों पर डटी रही है। 3/3
— Mayawati (@Mayawati) March 6, 2022
मायावती ने इसी श्रृंखला के अगले ट्वीट में कहा, "विरोधी पार्टियों ने धनबल तथा साम, दाम, दण्ड, भेद आदि सभी प्रकार के हथकण्डों को अपनाकर उत्तर प्रदेश चुनाव को अपने पक्ष में करने का खूब जतन किया, लेकिन जानलेवा महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, सरकार की निरंकुशता एवं आवारा पशु आदि से पीड़ित जनता अपने बुनियादी मुद्दों पर डटी रही है।"