लखनऊ: लखनऊ में बीते 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया था. इस संबंध में हुए कार्यक्रम के दौरान आए लाखों लोगों के लिए भोजन की भी व्यवस्था भी की गई थी. बताया जा रहा है कि कार्यक्रम खत्म होने के बाद काफी खाना बच गया. प्रशासन ने प्रेयरन स्थल की पार्किंग और उससे स्टे वसंत कुंज क्षेत्र में बचे खाने को फिंकवा दिया था.
इसी खाने को खाने से सोमवार की शाम 170 से ज्यादा भेड़ों की मौत हो गई. इस हादसे की जानकारी होते ही भेड़ों की मालिकों ने हंगामा किया. कांग्रेस नेताओं ने भी भेड़ों की मौत के लिए जिला प्रशासन को ज़िम्मेदार बताया. हंगामा बढ़ता देख जिला प्रशासन हरकत में आया.
पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ. राम प्रकाश सचान की देखरेख में भेड़ों का पोस्टमार्टम किया गया. मंगलवार को इस मामले की जानकारी मुख्यमंत्री को हुई. तो उन्होने इस मामले में जांच के आदेश दिए और 10 हजार रुपए प्रति भेड़ के हिसाब से आर्थिक सहायता दिए जाने का ऐलान भी किया.
भेड़ चरवाहों का कहना है
प्रेरणा स्थल के समीप जिन 170 भेड़ों की मौत हुई ये सभी भेड़ें फतेहपुर जिले के चार चरवाहे प्रदीप कुमार, विजय पाल, अजय पाल और शिवरतन की थीं. वे कुछ दिन पहले लखनऊ के आसपास चराई के लिए आए थे और घैला गांव के नजदीक रह रहे थे. भेड चराने वाले विजय पाल का कहना है कि रविवार की रात भेड़ों की तबीयत बिगड़ी और सुबह उनकी मुयत होना शुरू हुआ गया. हमारे देखते देखते ही हमारी जिंदगी भर की जमा-पूंजी चली गई.
इस लोगों के जिला प्रशासन के अफसरों से इस मामले की जांच करने का आग्रह किया और कहा मुख्यमंत्री जी को बताए कि हमारी रोजी रोटी का सहारा छिन गया है, हमें जीवन यापन के लिए मुआवजा दिया जाए. ताकि फिर से भेड खरीद कर कर अपना जीवन यापन कर सके. भेड़ चरवाहों की इस मांग पर प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया और पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ. राम प्रकाश सचान को बुलाकर भेड़ों का पोस्टमार्टम करवाया.
डॉ. राम प्रकाश ने सचान ने बताया कि भेड़ों के का पोस्टमार्टम करने के दौरान उनके पेट में सामान्य रूप से सेवन करने वाली घास मिली है. इसके परीक्षण के लिए प्रयोगशाला भेजा जा रहा है जिसमें मौत का कारण साफ हो सकेगा. उन्होने यह भी बतया कि बीमार भेड़ों का इलाज किया जा रहा है और वह जल्दी ही ठीक हो जाएंगी.
चरवाहों को दिया जा रहा मुआवजा
पशुचिकित्सा अधिकारी के इस तर्क से भेड़ चराने वाले चरवाहे संतुष्ट नहीं हुए. उनका कहना था कि भेड़ों ने पार्किंग में फेका गया खाया खाया था, जिससे वह मर गई.यह फूड पॉइजनिंग का मामला लगता है. सड़ा या ज्यादा खाना खाने से पशुओं में ब्लोटिंग होती है पेट फूल जाता है, सांस लेने में दिक्कत होती है और मौत हो जाती है. उनकी भेड़ों के साथ भी ऐसे लक्षण दिखाई दिए थे.
इसी बीच कांग्रेस के नेता भी इन चरवाहों को भेड़ों की मौत का मुआवजा दिलवाने की मांग करने लगे. फिलहाल सीएम योगी की चरवाहों को मुआवजा देने का ऐलान करने ही प्रशासन ने चरवाहों को मुआवजा देना शुरू कर दिया है. अब तक आठ लाख से अधिक रुपए चरवाहों को दिए जा चुके हैं.