पटना हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, कैदी को 3 महीने तक कोरोना मरीजों की सेवा करने के बाद जमानत देने के कहा
By एस पी सिन्हा | Published: June 3, 2020 08:00 PM2020-06-03T20:00:23+5:302020-06-03T20:05:36+5:30
इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी में शराब बरामद होने पर अभियुक्त की ज़मानत का एक नया नुस्ख़ा दिया था.
पटना:पटना हाईकोर्ट कोरोना काल में अपने फैसलों को लेकर चर्चा में है. हाईकोर्ट ने एससी एसटी एक्ट के तहत कैद एक व्यक्ति को इस शर्त पर जमानत दिया है कि आरोपी जिला स्वास्थ्य केंद्र के कोरोना अस्पताल में एक स्वयंसेवक के तौर पर कम से कम तीन महीने तक कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा कोरोना योद्धा की तरह करना होगा. उसके बाद ही जमानत पक्की होगी.
प्राप्त जानकारी के अनुसार पटना हाइकोर्ट ने बेगूसराय जिला में एससी/एसटी एक्ट के तहत आरोपित मनोज कुमार को इस शर्त पर जमानत दी कि रिहा होने के बाद जिला स्वास्थ्य केंद्र के कोरोना अस्पताल में स्वयंसेवक के तौर पर तीन महीने काम करेंगे. न्यायमूर्ति डॉक्टर अनिल कुमार उपाध्याय ने उक्त जमानत याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना ये निर्देश दिया है.
आरोपी एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज एससी/ एसटी थाना कांड संख्या 18 /20 20 मामलें में 25 जनवरी 2020 से जेल में है. यहां बता दें कि 30 मई को हाईकोर्ट ने बिहार के एक जाने-माने बिल्डर को इस शर्त के साथ जमानत दी थी कि वह 3 महीने तक कोरोना वायरस की मदद करेंगे. हाईकोर्ट ने बिल्डर खालिद रशीद को इसी शर्त के साथ जमानत दी थी. जिसके बाद यह दूसरे केस में यह फिर अनोखी सजा दी गई है.
इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी में शराब बरामद होने पर अभियुक्त की ज़मानत का एक नया नुस्ख़ा दिया था. कोर्ट ने कहा था कि शराब बरामद होने के हिसाब से राशि जमा कराने की सहमति देने वाले अभियुक्तों को जमानत पर रिहा कर दिया जायेगा, लेकिन आरोपितों को ये पैसा पीएम केयर्स फंड में जमा करना होगा.
न्यायाधीश अंजनी कुमार शरण ने शनिवार को एक नहीं बल्कि शराबबंदी से सम्बंधित कई मामलों में ये फ़ैसला दिया था. इससे अनुमान है कि पीएम केयर्स फंड में कम से कम तीन लाख रुपये जमा हुए होंगे. कोर्ट ने निचली अदालत को आदेश दिया कि किसी आरोपित की ज़मानत याचिका तभी स्वीकार की जाए, जब वह पीएम केयर्स फंड में जमा की गई राशि का रसीद दिखाए. किसी भी आरोपित ने ज़मानत की इस शर्त पर अपना विरोध नहीं जताया है. इसतरह पटना हाईकोर्ट के इन फैसलों की जमकर चर्चा होने लगी है.