केंद्रीय मंत्री ने कहा, "हाईकोर्ट ने बुरके को प्रतिबंधित किया है, अगर कोई आदेश नहीं मानता है तो सख्त कार्रवाई करनी चाहिए"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 31, 2022 10:13 PM2022-05-31T22:13:27+5:302022-05-31T22:19:23+5:30

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने जब साफ शब्दों में कह दिया है कि शैक्षणिक संस्थानों में बुरका प्रतिबंधित रहेगा और अगर उसके बाद भी कोई कोर्ट के आदेश की अवहेलना करता है तो ऐसे तत्वों को राष्ट्र विरोधी समझा जए और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

Union Minister said, "The High Court has banned the burqa in the college, if someone does not obey the order then strict action should be taken" | केंद्रीय मंत्री ने कहा, "हाईकोर्ट ने बुरके को प्रतिबंधित किया है, अगर कोई आदेश नहीं मानता है तो सख्त कार्रवाई करनी चाहिए"

केंद्रीय मंत्री ने कहा, "हाईकोर्ट ने बुरके को प्रतिबंधित किया है, अगर कोई आदेश नहीं मानता है तो सख्त कार्रवाई करनी चाहिए"

Highlightsकेंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने बुरका आदेश की जो अवहेलना करता है, उसे सख्त सजा दी जाएहाईकोर्ट का आदेश न मानने वाले सीधे तौर पर देश विरोधी काम कर रहे हैंहाईकोर्ट के आदेश के बाद कक्षाओं बुरका पहनने की कोई गुंजाइश बचती ही नहीं है

बेंगलुरु: केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने मंगलवार को कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा बुरका विवाद में दिये गये आदेश का अगर कोई उल्लंघन करता है तो ऐसे कृत्य को देश विरोधी मानते हुए उससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने जब साफ शब्दों में कह दिया है कि शैक्षणिक संस्थानों में बुरका प्रतिबंधित रहेगा तो उसके बाद भी अगर कोर्ट के आदेश की अवहेलना होती है तो इसे सीधे तौर पर राष्ट्र विरोधी समझा जाना चाहिए और ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्ती से निपटा जाना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "हाईकोर्ट के आदेश के बाद कक्षाओं बुरका पहनने की कोई गुंजाइश बचती ही नहीं है। सभी को कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए और जो भी कोर्ट के आदेश के खिलाफ जाकर कक्षाओं में बुरके के पहनाने को बढ़ावा देता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए क्योंकि ऐसे लोग असामाजिक और राष्ट्र विरोधी हैं।"

गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री करंदलाजे की यह टिप्पणी तब आयी है जब कर्नाटक के मंगलुरु स्थित मैंगलोर यूनिवर्सिटी ने 12 छात्राओं को हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कैंपस में प्रवेश देने से मना कर दिया।

कर्नाटक हाईकोर्ट की फुल बेंच ने बीते 15 मार्च को उडुपी के गवर्नमेंट गर्ल्स प्री-यूनिवर्सिटी की मुस्लिम छात्रों द्वारा दायर बुरका पहने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि बुरका इस्लाम में आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है, इसलिए कॉलेज कैंपस में सभी के लिए लागू होने वाले ड्रेस कोड का पालन होना चाहिए। इसलिए शिक्षण संस्थानों में बुरके को अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता है और कॉलेज इस मामले में पूरी तरह से स्वतंत्र हैं कि वो अपने ड्रेस कोड को लागू करें।

बुरका विवाद के अलावा मंगलुरु में मलाली मस्जिद विवाद पर टिप्पणी करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि अतीत में कई गलतियां हुई हैं, अगर हिंदुओं को मलाली मस्जिद वापस कर दिया जाता है तो सबसे अच्छी बात होगी।

उडुपी-चिक्कमगलुरु से लोकसभा सांसद करंदलाजे ने कहा कि अतीत में कई मंदिरों को गिराया गया है, हालांकि मौजूदा पीढ़ी उन दुखद लमहों की गवाह नहीं है। इसके साथ ही मंत्री ने कहा कि अगर विवाद है तो उसके निपटारे के लिए पुरातात्विक उत्खनन कराकर सच्चाई सबके सामने लानी चाहिए। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

Web Title: Union Minister said, "The High Court has banned the burqa in the college, if someone does not obey the order then strict action should be taken"

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