रामविलास पासवानः पार्थिव शरीर पटना पहुंचा, 10 अक्टूबर को अंतिम संस्कार
By एस पी सिन्हा | Published: October 9, 2020 05:13 PM2020-10-09T17:13:33+5:302020-10-09T17:13:33+5:30
पार्थिव शरीर को एयरपोर्ट से लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश कार्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. दिवंगत नेता के पार्थिव शरीर को पटना लोजपा कार्यालय से विधानसभा ले जाया गया, जहां दिवंगत रामविलास पासवान को सभी ने श्रद्धांजलि दी. शनिवार यानी 10 अक्टूबर को उनका अंतिम संस्कार पटना में ही किया जाएगा.
पटनाः देश के सबसे बडे़ दलित नेता के रूप में चर्चित रहे रामविलास पासवान अब हमारे बीच नहीं रहे. कल केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का दिल्ली में निधन हो गया. दिवंगत रामविलास पासवान के पार्थिव शरीर को आज दोपहर बाद पटना लाया गया.
इसके बाद पार्थिव शरीर को एयरपोर्ट से लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश कार्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. दिवंगत नेता के पार्थिव शरीर को पटना लोजपा कार्यालय से विधानसभा ले जाया गया, जहां दिवंगत रामविलास पासवान को सभी ने श्रद्धांजलि दी. शनिवार यानी 10 अक्टूबर को उनका अंतिम संस्कार पटना में ही किया जाएगा.
रामविलास पासवान के निधन के बाद उनसे जुडे़ कई वाकये फिर से जीवंत हो गये हैं. खगड़िया जिले के एक बेहद गरीब परिवार में जन्मे रामविलास पासवान ने डीएसपी की नौकरी को ठुकरा कर समाज को बदलने का संकल्प लिया था.
53 सालों के अपने सियासी सफर में उन्होंने कई मिसाल कायम किये. एक गरीब दलित परिवार में जन्म लेने के बाद उन्होंने काफी जद्दोजहद से उच्च शिक्षा हासिल की. पहले एमए और फिर एलएलबी. उस दौर में किसी संपन्न परिवार के युवक के लिए भी इतनी शिक्षा हासिल करना सपना के माफिक होता था. लेकिन रामविलास पासवान ने न सिर्फ उच्च शिक्षा हासिल की बल्कि बढ़िया सरकारी नौकरी भी पा लिया.
उन्होंने डीएसपी पद के लिए पीएससी की परीक्षा दी और उनका चयन भी हो गया. लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था. उस दौर में बिहार की राजनीति अशांत थी. मिलीजुली सरकारें बनती थीं और कुछ समय बाद ही गिर जाती थीं. समाजवादियों का बड़ा तबका अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश में लगा था.
समाजवादी विचारधारा के बडे़ नेता रामजीवन सिंह की मुलाकात रामविलास पासवान से हुई
बताया जाता है कि उसी वक्त समाजवादी विचारधारा के बडे़ नेता रामजीवन सिंह की मुलाकात रामविलास पासवान से हुई जो राजनीति से दूर पुलिस अधिकारी बनने की तैयारी में थे. रामजीवन सिंह पासवान की प्रतिभा से बहुत प्रभावित हुए और उन्हें राजनीति में आने की सलाह दी. रामजीवन सिंह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में थे.
उनके सहयोग से पासवान राजनीति में आ गये और संसोपा के टिकट पर अलौली सुरक्षित सीट से चुनाव लडा और चुनाव जीत गये. पासवान पुलिस अधिकारी के बजाय विधायक बन गये. इसी बीच संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी यानि संशोपा का विघटन हुआ. पासवान लोकदल से जुड़ गये. 1974 में जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में वे पूरे दमखम से शामिल हुए.
नतीजतन उन्हें जेल में बंद कर दिया गया. इंदिरा सरकार के पतन के बाद वे जेल से रिहा हुए. 1977 में जब भारतीय राजनीति ने नयी करवट ली तो रामविलास पासवान बुलंदियों पर पहुंच गये. जनता पार्टी ने उन्हें 1977 में हाजीपुर सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया. उस समय रामविलास बिहार के साधारण नेता थे.
बहुत लोग उन्हें जानते तक नहीं थे. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार बालेश्वर राम को 4 लाख 25 हजार 545 मतों के विशाल अंतर से हराया. इस तरह पासवान ने सर्वाधिक मतों से जीतने का नया भारतीय रिकॉर्ड बनाया. इस उपलब्धि के लिए उनका नाम गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया. इस रिकॉर्ड जीत ने उन्हें बड़ा राजनीतिक बना दिया.
राजीव गांधी के खिलाफ बोफोर्स का मुद्दा उठा कर राजनीति को एक बार फिर नया मोड़ दिया
1989 में एक बार फिर कांग्रेस के खिलाफ हवा बनी. वी पी सिंह ने मिस्टर क्लीन कहे जाने वाले राजीव गांधी के खिलाफ बोफोर्स का मुद्दा उठा कर राजनीति को एक बार फिर नया मोड़ दिया. कांग्रेस के खिलाफ जनमोर्चा तैयार हुआ. 1989 के लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान फिर हाजीपुर लोकसभा सीट पर खड़ा हुए.
इस बार पासवान ने सर्वाधिक मतों से जीत के के अपने ही पुराने रिकॉर्ड को तोड दिया. उन्होंने कांग्रेस के महावीर पासवान को 5 लाख 4 हजार 448 मतों के विशाल अंतर से हराया. देश में इसके पहले कभी कोई इतने मतों के अंतर से नहीं जीता था. इस तरह रामविलास पासवान देश के एक मात्र नेता हैं, जिन्होंने सर्वाधिक मतों से जीतने का दो बार रिकॉर्ड बनाया.
रामविलास पासवान ने ही सन 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की थी. 2004 में वह तत्कालीन सत्तारूढ़ यूपीए में शामिल हो गए. पासवान को तब केंद्रीय रासायनिक और उर्वरक और स्टील मंत्री बनाया गया. पासवान ने साल 2004 का चुनाव तो जीता, लेकिन 2009 में हार गए. 2010 से 2014 तक राज्यसभा सांसद रहने के बाद वह एक बार फिर से 2014 में हाजीपुर सीट से लोकसभा सांसद के तौर पर चुने गए. रामविलास पासवान 8 बार लोकसभा के सांसद रह चुके थे और फिलहाल वह राज्यसभा के सदस्य थे. पहली बार वह 1977 में हाजीपुर लोकसभा सीट से जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा पहुंचे थे. इसके बाद वह 1980, 1989, 1996 और 1998, 1999, 2004 और 2014 में लोकसभा सदस्य के तौर पर देश की संसद पहुंचे थे.
उल्लेखनीय है कि मोदी कैबिनेट में उपभोक्ता, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मामलों के मंत्री रामविलास पासवान की सेहत में लगातार गिरावट आ रही थी. दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में उनके दिल का ऑपरेशन 3 अक्टूबर को देर रात किया गया था. वह 24 अगस्त के बाद से ही लगातार परेशानी में थे और पिछले कुछ हफ्तों से अस्पताल में भर्ती थे.
रामविलास पासवान का दिल और किडनी ठीक से काम करना बंद कर दिया था. इस वजह से कुछ दिनों से उन्हें आईसीयू में एक्मो (एक्सट्रोकॉरपोरियल मेमब्रेंस ऑक्सीजनेशन) मशीन के सपोर्ट पर रखा गया था. गुरुवार की शाम 6:05 बजे उन्होंने दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली. वह 74 वर्ष के थे.
Delhi: The mortal remains of Union Minister and LJP leader #RamVilasPaswan, being brought out of his residence. The remains will be taken to Delhi airport from where it will be flown to Patna in Bihar.
— ANI (@ANI) October 9, 2020
The leader passed away yesterday. pic.twitter.com/q1lvn2wCVR