रेलगाडियों से टकराकर हाथियों का मरना दुर्भाग्यपूर्ण: भरतरी
By भाषा | Updated: August 19, 2021 23:09 IST2021-08-19T23:09:40+5:302021-08-19T23:09:40+5:30

रेलगाडियों से टकराकर हाथियों का मरना दुर्भाग्यपूर्ण: भरतरी
उत्तराखंड में तेज रफ्तार रेलगाड़ी से टकराकर एक हथिनी और उसके बच्चे की मौत के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को उत्तराखंड के मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी ने कहा कि एलिफेंट हैबिटेट (हाथियों के घर) में रेल मार्ग पर रेलगाडियों से टकराकर हाथियों का मरना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अब दुर्घटनाओं की समीक्षा करके उन्हें न्यूनतम स्तर पर ले जाने का समय आ गया है। भरतरी ने ‘पीटीआई-भाषा' से बातचीत में कहा, ‘‘एलिफेंट हैबिटेट से गुजरते रेल मार्ग पर हाथी जैसे वन्यजीवों की रेलगाड़ी की टक्कर से मृत्यु होना दुर्भाग्यपूर्ण है। समय-समय पर रेलवे और उत्तराखंड वन विभाग ने बैठकें करके दुर्घटनाओं के न्यूनीकरण पर कार्य किया है। पर अब समय आ गया है कि अब तक जारी दुर्घटनाओं को लेकर समग्र रूप से व्यापक समीक्षा की जाये ताकि दुर्घटनाओं को न्यूनतम स्तर तक ले जाया जा सके।’’ नैनीताल जिले में तराई केंद्रीय वन क्षेत्र के पीपलपडाव में तेज रफतार आगरा फोर्ट एक्सप्रेस से टकराकर बुधवार को एक हथिनी और उसके छह माह के बच्चे की मृत्यु हो गई थी। वर्ष 2019 में रेलवे और उत्तराखंड वन विभाग के बीच एक संयुक्त बैठक में संरक्षित वन क्षेत्रों से गुजरने वाले रेल मार्गों पर रेलगाडियों की गति सीमा 20 से 30 किमी प्रति घंटा तय की गई थी। भरतरी ने बताया कि उत्तराखंड के 5405.07 वर्ग किलोमीटर जंगल में राजाजी और कॉर्बेट बाघ अभयारण्य को मिलाकर हाथियों के लिए कुल 11 गलियारे हैं लेकिन राज्य बनने के बाद इन गलियारों के निकट विकास गतिविधियां बढ जाने से अब हाथी पहले की तरह इनका ज्यादा उपयोग नहीं कर रहे हैं। वन अधिकारी ने बताया कि राज्य वन विभाग ने इस संबंध में देहरादून स्थित वन्यजीव संस्थान को 10 नर हाथियों को रेडियो कॉलर लगाकर उनके आवागमन तथा उनके मार्गों के अवरोधों के अध्ययन कर रिपोर्ट देने का कार्य सौंपा है। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट बताएगी कि हाथी कौन से गलियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं और उनमें अवरोध कहाँ हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान को राजाजी बाघ अभयारण्य में हाथी संरक्षण के लिए एक वृहद कार्य योजना तैयार करने को भी कहा गया है जिससे राज्य में हाथी संरक्षण प्रयासों को मजबूत करने के अलावा वन्यजीव- मानव संघर्ष कम करने में मदद मिले । उत्तराखंड वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में हाथियों की आबादी लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2007 में हाथियों की संख्या 1346 थी जो 2020 में बढकर 2026 हो गई।
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