Udhampur-Doda Lok Sabha seat: दिलचस्प आंकड़े, अभी तक बाहरी लोग जीतते रहे उधमपुर-डोडा सीट, पढ़िए रोचक जानकारी
By सुरेश एस डुग्गर | Published: March 26, 2024 04:45 PM2024-03-26T16:45:47+5:302024-03-26T16:47:13+5:30
Udhampur-Doda Lok Sabha seat: इतिहास बताता है कि उधमपुर और डोडा जिलों से एक भी उम्मीदवार ने इस सीट से संसदीय चुनाव नहीं जीता है।
Udhampur-Doda Lok Sabha seat: आपको यह जानकर हैरानगी होगी की जम्मू-कश्मीर के उधमपुर-डोडा लोकसभा सीट से अभी तक जीत हासिल करने वालों का संबंध इन दो जिलों से कभी नहीं रहा है बल्कि वे या तो कठुआ जिले के निवासी थे या फिर जम्मू जिले के। चूंकि उधमपुर-डोडा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पर चुनाव प्रक्रिया जारी है और उम्मीदवार अपना नामांकन पत्र दाखिल कर रहे हैं, इतिहास बताता है कि उधमपुर और डोडा जिलों से एक भी उम्मीदवार ने इस सीट से संसदीय चुनाव नहीं जीता है।
आधिकारिक रिकार्ड के अनुसार, जीतने वाले उम्मीदवार या तो कठुआ जिले से या जम्मू से इसलिए रहे हैं क्योंकि राजनीतिक दल इन क्षेत्रों के उम्मीदवारों को प्राथमिकता देते रहे हैं। हालांकि कभी-कभी नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस जैसी पार्टियों ने पूर्ववर्ती जिले डोडा से अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन वे जीतना तो दूर मुकाबला भी नहीं कर पाए हैं।
यह निर्वाचन क्षेत्र कठुआ जिले के लखनपुर से लेकर किश्तवाड़ जिले के मारवाह और वारवान इलाकों तक फैला हुआ है। यह क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे बड़े लोकसभा क्षेत्रों में से एक है और यहां 10 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। वर्तमान में इसमें पांच जिले कठुआ, उधमपुर, रामबन, डोडा और किश्तवाड़ शामिल हैं जबकि इसमें 20 विधानसभा क्षेत्र हैं।
इस निर्वाचन क्षेत्र की स्थापना 1957 में हुई थी और जम्मू से इंद्रजीत मल्होत्रा कांग्रेस पार्टी के टिकट पर विजयी हुए थे। इसके बाद 1967 में पूर्व सदर-ए-रियासत और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार करण सिंह ने जीत हासिल की. वह भी जम्मू से थे। वर्ष 1968 में एक और लोकसभा चुनाव हुआ और कांग्रेस पार्टी जीएस ब्रिगेडियर, जो जम्मू से थे, को मैदान में उतारकर यह सीट जीतने में कामयाब रही।
अगर लोकसभा चुनावों के रिकार्ड को देखें तो 1971, 1977 और 1980 के चुनावों के दौरान, करण सिंह फिर से सीट हथियाने में कामयाब रहे, लेकिन इसके बाद 1984 में कांग्रेस पार्टी ने कठुआ के हीरानगर क्षेत्र से गिरधारी लाल डोगरा को जनादेश दिया और वह विजयी हुए। 1989 में, कांग्रेस पार्टी के एक अन्य उम्मीदवार धर्म पाल ने इसे जीता और वह भी जम्मू से थे।
इसी तरह से 1996 के चुनावों के बाद, उधमपुर सीट पर लोकसभा चुनाव देश के आम चुनावों के साथ नहीं हुए क्योंकि इन्हें अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण स्थगित कर दिया गया था। जब केंद्र में भाजपा की सरकार सिर्फ 13 दिन ही चली थी, तब उधमपुर सीट पर वोटिंग हुई और भाजपा के चमन लाल गुप्ता ने जीत हासिल की। फिर वे वर्ष 1998 और 1999 में होने वाले चुनावों में फिर से विजयी हुए।
गुप्ता जम्मू के ही निवासी थे। यह सिलसिला थमा नहीं था और 2004 में, कांग्रेस पार्टी ने मुफ्ती मुहम्मद सईद के नेतृत्व वाली कांग्रेस-पीडीपी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री चौधरी लाल सिंह को इस सीट से मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की। सिंह ने 2009 में इसे फिर से जीता। लाल सिंह भी कठुआ जिले के रहने वाले हैं।
2014 के चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने इस सीट से केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद को मैदान में उतारा था, लेकिन भाजपा के डा जितेंद्र सिंह ने उन्हें करीब 60000 वोटों के अंतर से हरा दिया था। जबकि 2019 में फिर से जीतेंद्र सिंह विजयी हुए और उन्होंने करण सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को हराया। वैसे तो उनके पूर्वज डोडा जिले से हैं लेकिन जितेंद्र सिंह जम्मू में रहते रहे हैं।
राजनीतिक पंडितों के अनुसार, इस बार भी इस बात की कोई संभावना नहीं है कि उधमपुर या डोडा में से कोई इस सीट पर जीत हासिल करेगा क्योंकि चौधरी लाल सिंह और डा जितेंद्र सिंह के बीच सीधा मुकाबला है जिनमें से जितेंद्र सिंह जम्मू और लाल सिंह कठुआ के रहने वाले हैं।