उद्धव ठाकरे कैबिनेट: शिवसेना ने पांच दिग्गजों को नहीं दिया मौका, संजय राउत के भाई को भी नहीं मिल पाई जगह
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 31, 2019 08:14 AM2019-12-31T08:14:52+5:302019-12-31T08:14:52+5:30
पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण को ठाकरे के मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है. इस प्रकार की अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे कांग्रेस की राज्य इकाई का नेतृत्व कर सकते हैं.
कांग्रेस और एनसीपी ने अपने दिग्गज नेताओं को मंत्रिपद दिया है, लेकिन शिवसेना ने फड़नवीस सरकार में शामिल रहे पांच मंत्रियों को पुन: मौका नहीं दिया है. इनमें दिवाकर रावते, रामदास कदम, तानाजी सावंत, दीपक केसरकर और रवींद्र वायकर शामिल हैं. कांग्रेस की ओर से पृथ्वीराज चव्हाण को मंत्री नहीं बनाया गया है. उन्हें प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी जा सकती है.
भाजपा नेताओं और शिवसेना के सांसद संजय राऊत ने मंत्रिपरिषद के विस्तार समारोह में हिस्सा नहीं लिया. एक भाजपा नेता ने कहा,''इस सरकार ने महाराष्ट्र के किसानों की अपेक्षाएं पूरी नहीं की हैं. हमारी इस समारोह में भाग लेने की इच्छा नहीं हुई.'' एक अन्य भाजपा नेता ने कहा,''जब उद्धव ठाकरे ने पिछले महीने शिवाजी पार्क में शपथ ग्रहण किया था तब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फड़नवीस समेत राज्य भाजपा के नेताओं ने उसमें शिरकत की थी. कैबिनेट के विस्तार के हर कार्यक्रम में शामिल होना आवश्यक नहीं है.''
ऐसा माना जा रहा है कि संजय राऊत ने उनके भाई और शिवसेना के विधायक सुनील राऊत को मंत्रिपरिषद में जगह नहीं दिए जाने के कारण समारोह में शिरकत नहीं की. शिवसेना ने अपने वरिष्ठ नेता रामदास कदम और दिवाकर रावते को नए मंत्रिपरिषद में जगह नहीं दी है. वह देवेंद्र फड़नवीस नीत सरकार में मंत्री थे.
एनसीपी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक और अनिल देशमुख को भी मंत्रालय में जगह दी गई है. ये दोनों पूर्व की कांग्रेस-एनसीपी सरकार में मंत्री थे. 2014 के विधानसभा चुनाव में दोनों हार गए थे, लेकिन इस साल अक्तूबर में हुए चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई.
एनसीपी नेता और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष दिलीप वलसे पाटिल, विधान परिषद में पूर्व नेता विपक्ष धनंजय मुंडे और विजय वडेट्टीवार ने भी शपथ ली. शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राकांपा नेता शरद पवार मौजूद थे. महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं और मंत्रि परिषद के सदस्यों की संख्या इसकी 15 फीसदी हो सकती है. इस लिहाज से प्रदेश में अधिकतम 43 मंत्री हो सकते हैं.