Uddhav-Raj Thackeray: ‘आधुनिक दुर्योधन’ हैं उद्धव ठाकरे, ठाणे सांसद नरेश म्हस्के ने कहा-उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की बढ़ती लोकप्रियता से घबराए

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 21, 2025 17:02 IST2025-04-21T17:00:56+5:302025-04-21T17:02:21+5:30

Uddhav-Raj Thackeray: 2009 के विधानसभा चुनाव में 13 सीटें जीतने के बाद मनसे सिमटती चली गई। 2024 के विधानसभा चुनाव में खाता भी नहीं खुला।

Uddhav-Raj Thackeray Uddhav Thackeray modern Duryodhana Thane MP Naresh Mhaske said never allowed emerge undivided Shiv Sena | Uddhav-Raj Thackeray: ‘आधुनिक दुर्योधन’ हैं उद्धव ठाकरे, ठाणे सांसद नरेश म्हस्के ने कहा-उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की बढ़ती लोकप्रियता से घबराए

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Highlightsमतदाता आधार के मद्देनजर, प्रासंगिक बने रहने की उनकी हताशा को दर्शाता है।उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की बढ़ती लोकप्रियता से घबरा गए हैं।दो दशक की कड़वाहट के बाद सुलह की दिशा में बातचीत कर रहे हैं।

ठाणेः शिवसेना ने सोमवार को शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे को ‘‘आधुनिक दुर्योधन’’ करार दिया और उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने चचेरे भाई राज ठाकरे को बाल ठाकरे की अविभाजित शिवसेना में कभी उभरने नहीं दिया। शिवसेना प्रवक्ता और ठाणे के सांसद नरेश म्हस्के ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दावा किया कि उद्धव ठाकरे का मनसे प्रमुख राज ठाकरे के प्रति हालिया झुकाव, शिवसेना (यूबीटी) के घटते मतदाता आधार के मद्देनजर, प्रासंगिक बने रहने की उनकी हताशा को दर्शाता है।

यह तीखी आलोचना अलग हुए चचेरे भाइयों उद्धव और राज ठाकरे द्वारा दिए गए उन बयानों के बाद आई है, जिसने संभावित सुलह के बारे में अटकलें तेज कर दी हैं। इन बयानों में उन्होंने संकेत दिया कि वे "तुच्छ मुद्दों" को नजरअंदाज कर सकते हैं और अलग होने के लगभग दो दशक बाद हाथ मिला सकते हैं।

म्हस्के ने आरोप लगाया, ‘‘शिवसेना (यूबीटी) के पास भीड़ जुटाने वाले नेता नहीं हैं। इस अहसास ने उन्हें राज ठाकरे की ओर रुख करने के लिए प्रेरित किया है। पार्टी लोकसभा और राज्यसभा दोनों में अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है।’’ उद्धव ठाकरे को "आधुनिक दुर्योधन" करार देते हुए म्हस्के ने कहा, ‘‘उन्होंने अपने भाई राज ठाकरे को पार्टी में कभी आगे नहीं बढ़ने दिया, तब भी नहीं जब बालासाहेब ठाकरे ने उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां देने का प्रस्ताव दिया था। उद्धव ने इसका पुरजोर विरोध किया था।’’ म्हस्के ने कहा कि राज ठाकरे शिवसेना (यूबीटी) के जाल में नहीं फंसेंगे।

उन्होंने कहा, "उन्हें अविभाजित शिवसेना से बाहर निकाल दिया गया था। अब वे चाहते हैं कि वह डूबते जहाज पर सवार हों- लेकिन राज भोले-भाले नेता नहीं हैं।" उन्होंने वक्फ अधिनियम पर शिवसेना (यूबीटी) के रुख का हवाला देकर उसपर हिंदुत्व को लेकर ‘‘दोहरे मानदंड’’ अपनाने का भी आरोप लगाया।

म्हस्के ने आरोप लगाया, "उन्होंने वक्फ (संशोधन) विधेयक का समर्थन नहीं किया। वे राजनीतिक लाभ के लिए कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को शिक्षण माध्यम के रूप में पेश करने का भी विरोध कर रहे हैं। हिंदी कक्षा 5 के बाद पहले से ही पढ़ाई जाती है। वे केवल वोट के लिए माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।’’

म्हस्के ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्हें एक ऐसा नेता बताया, जो देश के बाहर बयान देते हैं, लेकिन संसद में महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने में विफल रहते हैं। उन्होंने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) झूठी कहानियां गढ़ रही है, क्योंकि वे उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की बढ़ती लोकप्रियता से घबरा गए हैं।

मनसे व शिवसेना (उबाठा) के बीच सुलह की अटकलों के बीच आशीष शेलार ने कहा:राज के साथ दोस्ती खत्म

महाराष्ट्र के मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता आशीष शेलार ने रविवार को कहा कि राज ठाकरे के साथ उनकी दोस्ती खत्म हो गई है। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (उबाठा) के प्रमुख उद्धव ठाकरे दो दशक की कड़वाहट के बाद सुलह की दिशा में बातचीत कर रहे हैं।

जब शेलार से अलग हुए चचेरे भाइयों के हाथ मिलाने की संभावना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘अब व्यक्तिगत दोस्ती का मामला खत्म हो गया है।’’ पिछले कुछ दिनों में राज और उद्धव ने संभावित सुलह के बारे में अटकलों को हवा दी है। उन्होंने संकेत दिया है कि वे ‘मामूली मुद्दों’ को नजरअंदाज कर महाराष्ट्र और मराठी 'मानुष' की खातिर हाथ मिला सकते हैं। शेलार ने उद्धव ठाकरे द्वारा अपने चचेरे भाई के साथ हाथ मिलाने के लिए रखी गई शर्तों पर भी सवाल उठाए और पूछा कि क्या ये वास्तविक शर्तें हैं या राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हैं।

शेलार और राज ठाकरे के बीच तनाव तब बढ़ गया, जब राज ठाकरे ने एक सार्वजनिक भाषण में कुछ विधायकों के लिए ‘खोकेबहादर’ शब्द का इस्तेमाल किया। शेलार ने पलटवार करते हुए कहा था कि जिनके पास विधायक या सांसद नहीं हैं, उन्हें ऐसी टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए।

महाराष्ट्र: राज और उद्धव के बीच सुलह की अटकलों के बारे में प्रतिक्रिया मांगे जाने पर भड़के शिंदे

एक दूसरे से अलग हो चुके चचेरे भाइयों उद्धव और राज ठाकरे के बीच सुलह की अटकलों पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नाराज हो गए और संवाददाता से कहा कि वह सरकार के काम के बारे में बात करें। शनिवार को जब शिंदे सतारा जिले में अपने पैतृक गांव दरे में थे, तो टीवी मराठी के एक संवाददाता ने उनसे शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे के बीच सुलह की चर्चा पर प्रतिक्रिया मांगी। शिंदे चिढ़ गए और उन्होंने संवाददाता की बात अनुसनी कर दी।

शिवसेना नेता ने कहा, "काम के बारे में बात करें।" राज ठाकरे ने फिल्म निर्माता महेश मांजरेकर को दिए साक्षात्कार में कहा कि उन्हें अविभाजित शिवसेना में उद्धव के साथ काम करने में कोई समस्या नहीं थी। इस बयान के बाद सुलह की अटकलें शुरू हुईं। राज ठाकरे ने कहा कि सवाल यह है कि क्या उद्धव उनके साथ काम करना चाहते हैं।

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच संभावित सुलह की अटकलों को हवा देते उनके बयानों से संकेत मिलता है कि वे "मामूली मुद्दों" को नजरअंदाज कर सकते हैं और लगभग दो दशक के कटु मतभेद के बाद हाथ मिला सकते हैं। एक ओर, मनसे प्रमुख ने कहा है कि 'मराठी मानुष' के हित में एकजुट होना कठिन नहीं है, तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह छोटी-मोटी लड़ाइयां भूलने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को तरजीह न दी जाए।

उद्धव का इशारा संभवत: हाल ही में राज ठाकरे आवास पर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मेजबानी करने की ओर था। अपने चचेरे भाई का नाम लिए बिना उद्धव ठाकरे ने कहा था कि 'चोरों' की मदद करने से कुछ हासिल नहीं होने वाला। उनका स्पष्ट इशारा भाजपा और शिंदे नीत शिवसेना की ओर था।

साल 2022 में उद्धव ठाकरे को उस समय बड़ा झटका तब लगा था जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना को तोड़कर उनकी सरकार गिरा दी थी। इसके बाद शिंदे ने भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई थी। पिछले वर्ष 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए हुआ चुनाव शिवसेना (उबाठा) ने विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी के तहत लड़ा था। पार्टी ने 95 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन 20 सीट पर ही उसे जीत मिली थी। शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के भतीजे राज ने जनवरी 2006 में पार्टी छोड़ दी थी और अपने फैसले के लिए उद्धव को जिम्मेदार ठहराया था।

इसके बाद उन्होंने मनसे की स्थापना की जिसने शुरू में उत्तर भारतीयों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। लेकिन 2009 के विधानसभा चुनाव में 13 सीटें जीतने के बाद मनसे सिमटती चली गई। 2024 के विधानसभा चुनाव में उसका खाता भी नहीं खुला।

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