दो न्यायाधीशों ने एनएचआरसी समिति के खिलाफ पक्षपात के आरोप किए खारिज

By भाषा | Updated: August 20, 2021 16:07 IST2021-08-20T16:07:33+5:302021-08-20T16:07:33+5:30

Two judges dismiss allegations of bias against NHRC committee | दो न्यायाधीशों ने एनएचआरसी समिति के खिलाफ पक्षपात के आरोप किए खारिज

दो न्यायाधीशों ने एनएचआरसी समिति के खिलाफ पक्षपात के आरोप किए खारिज

पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा के दौरान दुष्कर्म और हत्या के कथित मामलों की सीबीआई जांच का आदेश देने वाली कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ के दो न्यायाधीशों ने एनएचआरसी की एक समिति के सिफारिश देने और घटनाओं पर राय जताने को ‘‘अनावश्यक’’ बताया लेकिन साथ ही उन आरोपों को खारिज कर दिया कि समिति के कुछ सदस्य सरकार के प्रति दुराग्रह से ग्रसित थे। एक न्यायाधीश ने कहा कि निर्वाचन आयोग को प्रशासन को कथित पीड़ितों की शिकायतें दर्ज करने का निर्देश देकर अधिक सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए थी जबकि एक अन्य ने कहा कि समिति में दो सदस्यों को शामिल करने बचा जा सकता था क्योंकि यह ‘‘दुराग्रह की संभावना को बढ़ा सकता था।’’ राष्ट्रीय मानवाधिकारी आयोग की समिति के दो सदस्यों राजुल देसाई और आतिफ रशीद के भारतीय जनता पार्टी से संबंध थे। अदालत ने एनएचआरसी समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए बृहस्पतिवार को दुष्कर्म और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के सभी कथित मामलों की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी, न्यायमूर्ति हरीश टंडन, न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार की पीठ ने दुष्कर्म, दुष्कर्म की कोशिश और हत्या जैसे जघन्य अपराधों की सीबीआई जांच तथा पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद कथित हिंसा के अन्य मामलों की जांच के लिए तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एसआईटी के गठन का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी और न्यायमूर्ति सौमेन सेन ने पीठ द्वारा सुनाए आदेश पर सहमति जतायी लेकिन एनएचआरसी की तथ्य का पता लगाने वाली समिति के कुछ कदमों पर आपत्ति भी जतायी। न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुए जघन्य अपराधों की जांच सीबीआई को सौंपने के निर्णय से सहमति व्यक्त की और अपने अलग से लिखे फैसले में कहा कि मानव अधिकार आयोग की समिति के दुराग्रह से ग्रसित होने के आरोप में दम नहीं है। उन्होंने कहा कि मानव अधिकार आयोग द्वारा गठित समिति के पास पांच न्यायाधीशों की पीठ के आदेश के तहत ही जांच करने और एकत्र किए गए तथ्यों को पेश करने का अधिकार था। न्यायमूर्ति मुखर्जी ने कहा, ‘‘समिति के खिलाफ दुराग्रह से ग्रसित होने के आरोप में दम नहीं है क्योंकि अदालत ने न केवल समिति की रिपोर्ट पर विचार किया बल्कि उसके बाद अधिवक्ताओं के तर्क और दलीलों पर भी गौर किया।’’ जनहित याचिकाओं में चुनाव बाद हुई कथित हिंसा की स्वतंत्र जांच कराने तथा पीड़ितों को मुआवजा देने का अनुरोध किया गया था। अपनी टिप्पणियों में न्यायमूर्ति मुखर्जी ने कहा कि निर्वाचन आयेाग की दलीलें बिल्कुल सही हैं कि चुनाव कराना उसका काम है लेकिन प्रशासन चलाना सरकार का काम है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी राय में निर्वाचन आयोग सैद्धांतिक रूप से सही है। लेकिन यह भी सही है कि निर्वाचन आयोग ने प्रशासन को प्रशासनिक ड्यूटी में लगे अधिकारियों का तबादला करने और उन्हें उस समय उसके निर्देशों के अनुसार तैनात करने के लिए कहा था जब वह चुनाव का प्रभारी था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर चुनाव के परिणामस्वरूप अपराध हुए तो यह निर्वाचन आयोग का कर्तव्य है कि वह कम से कम प्रशासन को शिकायतें दर्ज करने का निर्देश या सलाह दे जो उसने नहीं किया।’’ न्यायमूर्ति मुखर्जी ने कहा कि चुनाव और नयी सरकार के पदभार ग्रहण करने के बीच निर्वाचन आयोग प्रशासन को शिकायतें दर्ज करने का निर्देश देकर अधिक सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए थी। उन्होंने कहा, ‘‘अगर अपराध साबित हो जाता है तो दोषियों को सजा दी जाएगी। केवल तभी पूरी व्यवस्था को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाया जा सकता है।’’ न्यायमूर्ति सौमेन सेन ने अपनी टिप्पणियों में कहा, ‘‘तथ्यों का पता लगाने वाली समिति के सदस्यों के खिलाफ दुराग्रह से ग्रसित होने का आरोप लगाना अनुचित होगा। समिति ने शिकायतों के संकलन का प्रशंसनीय काम किया।’’ उन्होंने कहा कि उनकी राय में राजुलबेन देसाई, आतिफ रशीद और राजीव जैन को समिति में शामिल करने से उसकी रिपोर्ट गलत नहीं हो जाती। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि मुझे लगता है कि राजुलबेन देसाई और आतिफ रशीद की पृष्ठभूमियों को देखते हुए उन्हें समिति में शामिल करने से बचा जा सकता है क्योंकि इससे पक्षपात की संभावना से बचा जा सकता है।’’ गौरतलब है कि एनएचआरसी समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों और निष्कर्षों का विरोध करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया था कि यह गलत और पक्षपातपूर्ण है। उन्होंने यह दावा किया था कि सात सदस्यीय समिति के कुछ सदस्यों का भारतीय जनता पार्टी से संबंध था।

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Web Title: Two judges dismiss allegations of bias against NHRC committee

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