चीन सीमा पर दस हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित दो फायरिंग रेंज सशस्त्र बलों को सौंपे गए, ऊंचाई पर गोलीबारी का अभ्यास करेंगे जवान
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 4, 2023 03:26 PM2023-10-04T15:26:49+5:302023-10-04T15:28:11+5:30
दस हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित मंडला और कामराला फायरिंग रेंज की जमीन सशस्त्र बलों को सौंप दी गई है। अब ऊंचाई वाले रणनीतिक स्थानों पर तैनात सैनिक गोलीबारी का अभ्यास कर सकते हैं और इसमें कुशल बन सकते हैं।
तवांग: पिछले कुछ सालों से अत्यंत संवेदनशील वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ बेहद तनावपूर्ण संबंध हैं। भारतीय सेना की भारी तैनाती चीन से लगी सीमा पर है। भारतीय सेना ऊंचाई वाले दुर्गम इलाकों में अपनी युद्धक क्षमताओं को लगातार बढ़ाने की कोशिश में है।
इसी बीच अत्यंत संवेदनशील वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से 50 किलोमीटर के हवाई दायरे के भीतर अरुणाचल प्रदेश में विभिन्न तरह के हथियारों और निगरानी उपकरणों के अभ्यास के लिए इस अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में स्थित दो ‘फायरिंग रेंज’ को सशस्त्र बलों को उपलब्ध कराया गया है।
दस हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित मंडला और कामराला फायरिंग रेंज की जमीन सशस्त्र बलों को सौंपने की पहल मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने की थी। ‘बुलंद भारत’ नाम का पहला एकीकृत निगरानी और मारक क्षमता प्रशिक्षण अभ्यास मई में मंडला में किया जा चुका है, जबकि कामराला फायरिंग रेंज में अभी एक बड़ा फायरिंग अभ्यास किया जाना बाकी है। दोनों सुपर हाई एल्टीट्यूड फायरिंग रेंज एलएसी से 50 किलोमीटर की हवाई दूरी के भीतर स्थित हैं। अरुणाचल प्रदेश चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ 1,129 किलोमीटर लंबी एलएसी साझा करता है। इसलिए ये क्षेत्र बेहद संवेदनशील है।
इस बारे में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने पीटीआई-भाषा से कहा कि राष्ट्रीय हित पहले आते हैं। हमने सशस्त्र बलों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए दो फायरिंग रेंज के लिए जमीन सौंपने का फैसला किया है।
बता दें कि पिछले साल नौ दिसंबर को यांगस्ते में पीएलए (चीनी) सैनिकों ने घुसपैठ की थी। यह क्षेत्र तवांग जिले में मुख्यमंत्री के अपने विधानसभा क्षेत्र मुक्तो के अंतर्गत आता है। पीएलए के सैनिक यांग्स्ते में प्रवेश करने के बाद भारतीय सेना से भिड़ गए थे। जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए थे। सूत्रों ने कहा कि दोनों फायरिंग रेंज सशस्त्र बलों के लिए बेहद फायदेमंद होंगे क्योंकि लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में ऊंचाई वाले रणनीतिक स्थानों पर तैनात सैनिक गोलीबारी का अभ्यास कर सकते हैं और इसमें कुशल बन सकते हैं। यह अभ्यास विशेष बलों, अरुणाचल प्रदेश के कामेंग और तवांग में तैनात वायु एवं केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के साथ निकट समन्वय में किया गया।
(इनपुट- भाषा)