त्रिपुरा: यूएपीए के आरोपी दो वकीलों और एक पत्रकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत, पुलिस को दंडात्मक कार्रवाई से रोका

By विशाल कुमार | Updated: November 17, 2021 14:26 IST2021-11-17T14:24:33+5:302021-11-17T14:26:13+5:30

याचिकाकर्ताओं ने गैरकानूनी गतिविधियों को परिभाषित किए जाने, गैरकानूनी गतिविधियों के लिए दंड और जमानत पर लागू प्रतिबंध से संबंधित धाराओं की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी है.

tripura violence two lawyers one journalists uapa supreme court | त्रिपुरा: यूएपीए के आरोपी दो वकीलों और एक पत्रकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत, पुलिस को दंडात्मक कार्रवाई से रोका

त्रिपुरा: यूएपीए के आरोपी दो वकीलों और एक पत्रकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत, पुलिस को दंडात्मक कार्रवाई से रोका

Highlightsत्रिपुरा हिंसा मामले में दो वकीलों और एक पत्रकार पर यूएपीए लगाया गया है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए।

नई दिल्ली:त्रिपुरा में हुए हालिया सांप्रदायिक हिंसा के दौरान सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर गैरकानूनी गतिविधियां निवारक अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोपी बनाए गए दो वकीलों और एक पत्रकार को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पुलिस को उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, सीजेआई एनवी रमना की पीठ ने दो वकीलों मुकेश और अंसरुल हक अंसार और पत्रकार श्याम मीरा सिंह की यूएपीए के एफआईआर रद्द करने के दाखिल रिट याचिका पर यह आदेश दिया।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश होते हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि दो वकीलों ने त्रिपुरा का दौरा किया था और सांप्रदायिक हिंसा के बारे में एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसके कारण त्रिपुरा पुलिस ने यूएपीए के तहत प्राथमिकी के संबंध में पूछताछ के लिए उनके खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41 ए के तहत नोटिस जारी किया।

पीठ ने तब याचिका पर नोटिस का आदेश दिया और निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए।

याचिकाकर्ताओं ने गैरकानूनी गतिविधियों को परिभाषित किए जाने, गैरकानूनी गतिविधियों के लिए दंड और जमानत पर लागू प्रतिबंध से संबंधित धाराओं की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी है.

नोटिस मिलने से पहले दोनों वकीलों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपनी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी की थी जिसमें त्रिपुरा हिंसा में 12 मस्जिदों के साथ मुस्लिमों की नौ दुकानों और तीन घरों पर हमले की बात कही गई थी.

हालांकि, राज्य सरकार लगातार किसी मस्जिद पर हमले से इनकार कर रही है और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी बयान जारी कर कहा है कि त्रिपुरा में किसी मस्जिद पर हमला नहीं हुआ.

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