राज्यसभा में आज पेश होगा तीन तलाक विधेयक, कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल करेंगे विरोध
By भाषा | Published: December 31, 2018 04:47 AM2018-12-31T04:47:17+5:302018-12-31T04:47:17+5:30
सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस ने व्हिप जारी करके अपने अपने सदस्यों से सोमवार को ऊपरी सदन में उपस्थित रहने को कहा है। अन्य दलों ने भी अपने सांसदों से यह विधेयक सदन में पेश करने के दौरान उपस्थित रहने को कहा है।
मुस्लिमों में एक बार में तीन तलाक की प्रथा को अपराध की श्रेणी में लाने वाला तीन तलाक विधेयक सोमवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। उधर, कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दल इसे प्रवर समिति के पास भेजने के प्रयास में हैं।
सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस ने व्हिप जारी करके अपने अपने सदस्यों से सोमवार को ऊपरी सदन में उपस्थित रहने को कहा है। अन्य दलों ने भी अपने सांसदों से यह विधेयक सदन में पेश करने के दौरान उपस्थित रहने को कहा है।
कांग्रेस ने अपने सांसदों की बैठक बुलाई है। कई विपक्षी दल भी सोमवार की सुबह विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के चैंबर में मुलाकात करके इस मुद्दे पर सदन की अपनी रणनीति बनाएंगे।
विवादित तीन तलाक विधेयक को विपक्षी दलों का कड़ा विरोध झेलना पड़ सकता है। विपक्ष इसे आगे की जांच के लिए प्रवर समिति में भेजने की अपनी मांग को लेकर लामबंद है।
सदन के सभापति एम वेंकैया नायडू के अपनी सास के निधन के कारण सोमवार को सदन में उपस्थित रहने की संभावना नहीं है और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सदन की कार्यवाही के संचालन का जिम्मा संभाल सकते हैं।
विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ऊपरी सदन में इस विधेयक को पेश करेंगे। विधेयक को बृहस्पतिवार को विपक्ष के बहिर्गमन के बीच लोकसभा द्वारा मंजूरी दी जा चुकी है। विधेयक के पक्ष में 245 जबकि विपक्ष में 11 वोट पड़े थे।
प्रसाद ने शुक्रवार को दावा किया था कि भले ही राज्यसभा में भाजपा नीत राजग के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं हो लेकिन सदन में इस विधेयक को समर्थन मिलेगा।
विधेयक को सोमवार को राज्यसभा के विधायी एजेंडे में शामिल किया गया है।
विपक्ष ने तीन तलाक विधेयक के मजबूत प्रावधानों पर सवाल उठाए हैं। लोकसभा में विपक्ष ने इस विधेयक पर और गौर करने के लिए इसे संसद की ‘संयुक्त प्रवर समिति’ के पास भेजने की मांग की थी।
सूत्रों ने कहा कि राज्यसभा में संख्याबल विपक्ष के समर्थन में है जहां संप्रग के पास 112 जबकि राजग के पास 93 सदस्य हैं। एक सीट खाली है जबकि बाकी के अन्य दलों के 39 सदस्य न तो राजग और ना ही संप्रग से जुड़े हैं और वे विवादित विधेयक के पारित होने में महत्वपूर्ण भूमिका