अधिकरणों को उचित मुआवजा प्रदान कर घायल व्यक्ति के स्वाभिमान की रक्षा करनी चाहिए:न्यायालय
By भाषा | Published: October 27, 2021 08:16 PM2021-10-27T20:16:24+5:302021-10-27T20:16:24+5:30
नयी दिल्ली,27 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि अदालतों और अधिकरणों को किसी घायल व्यक्ति को उचित मुआवजा प्रदान कर उसके स्वाभिमान की रक्षा करने में मदद करने की वास्तविक कोशिश करनी चाहिए।
न्यायालय ने 191 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे व्यक्ति को मुआवजे की राशि बढ़ाते हुए यह कहा। उल्लेखनीय है कि 13 अप्रैल 2001 को मोटरसाइकिल सवार व्यक्ति को एक कार ने टक्कर मार दी थी जिसमें वह घायल हो गया था। वह स्थायी रूप से 69 प्रतिशत दिव्यांग हो गया।
न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति रिषीकेश रॉय की पीठ ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम सामाजिक कल्याण विधान प्रकृति की है और इसके प्रावधान यह स्पष्ट करते हैं कि मुआवजा उचित रूप से निर्धारित किया जाए।
शीर्ष न्यायालय ने उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये 9.38 लाख रुपये के मुआवजे के आदेश को बढ़ा कर 27.67 लाख कर दिया।
न्यायालय ने कहा कि इस बारे में अवश्य ही कोशिश की जानी चाहिए कि मुआवजे की राशि उसकी वास्तविक जरूरतों को पूरा करती हो।
पीठ ने कहा कि अधिकरण और अदालतों को इस तथ्य के बारे में अवश्य सचेत रहना चाहिए कि व्यक्ति की स्थायी अपंगता न सिर्फ उसकी शारीरिक क्षमता को प्रभावित करती है, बल्कि इसके पीड़ित पर कई अन्य प्रभाव भी पड़ते हैं।
शीर्ष न्यायालय ने केरल निवासी जितेंद्रन द्वारा दायर एक अपील पर यह टिप्पणी की।
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