Jharkhand: आदिवासी संगठनों ने “पेसा” कानून को लेकर रांची में किया जमकर प्रदर्शन, 18 घंटे तक कराया दिया सब कुछ बंद
By एस पी सिन्हा | Updated: March 22, 2025 15:48 IST2025-03-22T15:48:01+5:302025-03-22T15:48:23+5:30
Jharkhandक्या उसे सही रूप में झारखंड में लागू किया जाएगा? फिलहाल जो प्रक्रिया चल रही है, उसमें इस प्रावधान को नजरअंदाज किया जा रहा है।

Jharkhand: आदिवासी संगठनों ने “पेसा” कानून को लेकर रांची में किया जमकर प्रदर्शन, 18 घंटे तक कराया दिया सब कुछ बंद
Jharkhand: आदिवासी बहुल इलाकों में पंचायती व्यवस्था के विशिष्ट कानून “पेसा”(पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल एरिया एक्ट),1996 के प्रावधानों को झारखंड में लागू करने की मांग को लेकर राज्य की राजधानी रांची में शनिवार सुबह आदिवासी संगठनों के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे। उन्होंने पवित्र आदिवासी धार्मिक स्थल सरना स्थल के पास फ्लाईओवर के निर्माण के विरोध में 18 घंटे तक सबकुछ बंद कराया। प्रदर्शनकारियों को टायर जलाते और मुख्य रूप से रांची के बाहरी इलाकों में सड़कों को अवरुद्ध कर दिया था।
बंद के कारण अन्य दिनों की तुलना में सुबह के समय रांची की सड़कों पर वाहनों की संख्या कम रही। प्रदर्शनकारी सिरम टोली में बनाए जा रहे रैंप को हटाने की मांग कर रहे हैं, उनका दावा है कि यह धार्मिक स्थल तक पहुंचने में बाधा डालता है और लगातार यातायात की आवाजाही के कारण इसकी पवित्रता को भंग कर सकता है। कई आदिवासी संगठनों ने शुक्रवार शाम को बंद के लिए लोगों का समर्थन मांगते हुए मशाल जुलूस निकाला। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार ने उनकी चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया।
दरअसल, पेसा कानून के प्रावधानों का शत-प्रतिशत अनुपालन करते हुए झारखंड में नियमावली तैयार करने और इसे प्रभावी तौर पर जमीन पर उतारने की मांग को लेकर सैकड़ों आदिवासियों ने खूंटी जिले की ऐतिहासिक डोंबारी बुरू पहाड़ी से झारखंड विधानसभा तक पैदल मार्च की शुरुआत की है। डोंबारी बुरू पहाड़ी ही वह स्थान है, जहां भगवान बिरसा मुंडा की अगुवाई में आदिवासियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उलगुलान (विद्रोह) किया था। संघ के संयोजक एलेस्टेयर बोदरा ने कहा कि यह सिर्फ एक पैदल यात्रा नहीं, बल्कि उलगुलान (विद्रोह) है। उन्होंने कहा कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।
उन्होंने कहा कि राज्य की सरकार झारखंड पंचायत राज अधिनियम, 2001 की धारा 131(1) के तहत 'पेसा' की नियमावली निर्माण का प्रयास कर रही है, जो न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि 'पेसा', 1996 की धारा 4(ण) में आदिवासी स्वशासन को मजबूत करने का जो संवैधानिक प्रावधान किया गया है, क्या उसे सही रूप में झारखंड में लागू किया जाएगा? फिलहाल जो प्रक्रिया चल रही है, उसमें इस प्रावधान को नजरअंदाज किया जा रहा है।
बोदरा ने कहा कि राज्य विधानमंडल को संविधान की छठी अनुसूची के अनुरूप अनुसूचित क्षेत्रों में जिला स्तर पर पंचायतों की प्रशासनिक व्यवस्था बनानी चाहिए, लेकिन राज्य सरकार ने अपने प्रारूप में इस प्रावधान का कोई उल्लेख नहीं किया है। इससे स्पष्ट है कि सरकार छठी अनुसूची के तहत स्वशासी जिला परिषद का गठन नहीं करना चाहती है।