रेलवे ने ट्रेनों का संचालन दिसम्बर तक ‘पावर कार’ के बजाय ओवरहेड विद्युत आपूर्ति प्रणाली से करने का निर्णय लिया है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। रेलगाड़ियों से ‘पावर कार’ हटने से इससे होने वाला शोर भी बंद हो जाएगा। रेलगाड़ियों में आगे और पीछे दो पावर कार लगे होते हैं।अधिकारियों ने बताया कि पावर कारों के हटने से यात्रियों को 31 नयी सीटें मिल जायेगी और सामान रखने के लिए अतिरिक्त जगह भी मिलेगी। दो पावर कारों में एक को एलएसएलआरडी (एलएचबी सेकेंड लगेज, गार्ड और दिव्यांग कंपार्टमेंट) में बदल दिया जाएगा, जिसमें विशेष रूप से डिजाइन किया गया डिब्बा होगा। इसमें छह सीटें दिव्यांगों के लिए आरक्षित होगी।रेलवे बोर्ड, (रोलिंग स्टॉक) सदस्य राजेश अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान समय में पावर कार 105-डेसिबल शोर उत्पन्न करती हैं जो वर्ष के अंत तक घटकर शून्य हो जायेगा। उन्होंने बताया कि इससे बिजली के बिलों में एक वर्ष में रेलवे के 800 करोड़ रुपये की बचत होगी और वायु तथा ध्वनि प्रदूषण भी घटेगा। इस प्रणाली को ‘‘हेड-ऑन जेनरेशन’’ (एचओजी) कहा जाता है।वर्तमान में, बिजली की लागत 36 रुपये प्रति यूनिट से अधिक है और एचओजी के साथ, यह छह रुपये प्रति यूनिट पर उपलब्ध होगी। अग्रवाल ने बताया कि अब तक 342 रेलगाड़ियों को एचओजी में बदल दिया गया है जबकि 284 और रेलगाड़ियों को साल के अंत तक इस प्रणाली में बदला जायेगा जिससे और बचत होगी।
रेलगाड़ियों से हटेगा ‘पावर कार’, यात्रियों के लिए बढ़ जाएंगी 31 नई सीटें, शोर भी होगा खत्म
By भाषा | Updated: September 18, 2019 05:40 IST
वर्तमान में, बिजली की लागत 36 रुपये प्रति यूनिट से अधिक है और एचओजी के साथ, यह छह रुपये प्रति यूनिट पर उपलब्ध होगी। अग्रवाल ने बताया कि अब तक 342 रेलगाड़ियों को एचओजी में बदल दिया गया है
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ठळक मुद्देवर्तमान समय में पावर कार 105-डेसिबल शोर उत्पन्न करती हैं।वर्ष के अंत यह शोर घटकर शून्य हो जायेगा।