'कोरोना वायरस के कारण मालदीव और यूएई में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए नौसेना के तीन पोत भेजे गए'
By भाषा | Published: May 5, 2020 10:01 AM2020-05-05T10:01:02+5:302020-05-05T10:01:02+5:30
आईएनएस शार्दुल को प्रवासियों को निकालने के लिये दुबई भेजा गया है। तीनों पोत लौटकर कोच्चि आएंगे। आईएनएस मगर और आईएनएस शार्दुल नौसेना की दक्षिणी कमान के पोत हैं जबकि आईएनएस जलाश्व नौसेना की पूर्वी कमान का पोत है।
कोच्चिः भारत ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के कारण मालदीव और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिये नौसेना के तीन पोत भेजे हैं। रक्षा प्रवक्ता ने मंगलवार सुबह यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मुंबई तट पर तैनात आईएनएस जलाश्व और आईएनएस मगर को सोमवार रात मालदीव के लिए रवाना किया गया है। प्रवक्ता ने कहा कि आईएनएस शार्दुल को प्रवासियों को निकालने के लिये दुबई भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि तीनों पोत लौटकर कोच्चि आएंगे। आईएनएस मगर और आईएनएस शार्दुल नौसेना की दक्षिणी कमान के पोत हैं जबकि आईएनएस जलाश्व नौसेना की पूर्वी कमान का पोत है।
इससे पहले केंद्र ने मद्रास उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि कोविड-19 के कारण पैदा हुए हालात के मद्देनजर मालदीव में मौजूद प्रवासी भारतीयों की मेडिकल समेत हर प्रकार की मदद करने के लिए वहां भारतीय मिशन में एक विशेष नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
न्यायमूर्ति एम सत्यनारायणन और न्यायमूर्ति एम निर्मल कुमार ने सरकार को नियुक्ति के बारे में विस्तृत जानकारी दाखिल करने का आदेश दिया था। यह आदेश कन्याकुमारी जिले के एक वकील की जनहित याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के दौरान दिया गया था।
याचिका में मालदीव में प्रवासी भारतीयों की स्थिति का हवाला देते हुए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाने का आदेश देने की मांग की गई थी। जब केंद्र के वकील श्रीनिवास मूर्ति ने सूचित किया कि अधिकारी पहले ही नियुक्त किया जा चुका है, तो पीठ ने उन्हें विस्तृत जानकारी दाखिल करने का आदेश दिया था और मामले की आगे की सुनवाई के लिए 12 मई की तारीख तय की थी।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि नर्सों, शिक्षकों, चिकित्सकों, इंजीनियरों एवं अन्य कर्मियों समेत करीब 29,000 प्रवासी भारतीय मालदीव में हैं, जिनमें से करीब 22,000 मालदीव की राजधानी माले में हैं। याचिका में कहा गया था कि मालदीव में कई भारतीयों ने कहा है कि वहां कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए उचित पृथक-वास एवं चिकित्सकीय सुविधाएं नहीं हैं।
याचिका में कहा गया था कि बंद लागू होने के कारण प्रवासी कर्मी बैंक या एटीएम नहीं जा सकते। इसलिए उनके पास पर्याप्त भोजन नहीं है। इसके अलावा होटल या रेस्तरां भी भोजन उपलब्ध नहीं करा रहे हैं।