आर्थिक अपराध करने वालों की अब खैर नहीं! करीब 2.5 लाख 'अपराधियों' की यूनीक आईडी बनाने जा रही सरकार-रिपोर्ट
By आजाद खान | Published: May 16, 2023 10:44 AM2023-05-16T10:44:09+5:302023-05-16T11:19:27+5:30
बताया जा रहा है कि इस सिस्टम के जरिए सरकार आर्थिक अपराधों की आरोपी कंपनियों और व्यक्तियों को एक यूनीक आईडी से लिंक कर देगी जिससे उनकी पहचान और जांच में काफी आसानी होगी।
नई दिल्ली: आर्थिक अपराधों की आरोपी कंपनियों और व्यक्तियों पर सरकार नकेल कसने की तैयारी कर रही है। ऐसे में सरकार एक ऐसी सिस्टम बनाने जा रही है जिससे वह इन आरोपियों की सही से ट्रैकिंग कर पाए। एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार जल्द ही आर्थिक अपराधियों का यूनीक आई डी सिस्टम लांच करने की तैयारी में है।
इसके तहत आर्थिक अपराधों के आरोपी कंपनियों और व्यक्तिों की पहचान आसान हो जाएगी। सरकार ने करीब 2.5 लाख आर्थिक अपराधियों की लिस्ट तैयार की है और अब उसे यूनीक आई डी देकर उनकी पहचान करनी जा रही है। ऐसे में इस सिस्टम के तहत आर्थिक अपराधों के आरोपी व्यक्ति को आधार कार्ड से लिंक किया जाएगा और इस तरह के अपराध में शामिल कंपनियों को पैन कार्ड से लिंक किया जाएगा।
क्या है पूरा मामला
द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, द सेंट्रल इकोनॉमिक इंटेलीजेंस ब्यूरो ने एक लिस्ट तैयार की है जिसमें 2.5 लाख आर्थिक अपराधियों के नाम दर्ज है। ऐसे में सरकार इन अपराधियों की डिटेल आर्थिक अपराध यूनीक आईडी (Unique Economic offender Code) से लिंक करने की तैयारी में है।
अभी ऐसा होता है कि जांच शुरू करने के लिए एजेंसी को चार्जशीट दाखिल करने या अभियोजन पक्ष की शिकायत को साझा करने तक इंतजार करना पड़ता है, लेकिन इस कोड के जारी होने के बाद यह प्रक्रिया पहले से काफी आसान हो जाएगी और इससे जांच में भी तेजी मिलेगी।
विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे आर्थिक अपराधियों पर नकेल कसने की तैयारी
बता दें कि इस सिस्टम के जरिए विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी जैसे आर्थिक अपराधियों पर नकेल कसने की तैयारी की जा रही है। ऐसे में सिस्टम तैयार होने के बाद इन अपराधियों की आईडी आधार कार्ड से लिंक कर दी जाएगी। यही नहीं सिस्टम के जरिए कंपनियों पर भी नकेल कसी जाएगी।
बताया जा रहा है कि जैसे ही कोई पुलिस यूनिट या केंद्रीय जांच एजेंसी आरोपी से संबंधित डेटा को राष्ट्रीय आर्थिक अपराध रिकॉर्ड (एनईओआर) में डालेगी, यह कोड सिस्टम के जरिए अपने आप बन जाएगा। इस सिस्टम को ‘यूनिक इकोनॉमिक ऑफेंडर कोड’ का नाम दिया जाएगा।