अटार्नी जनरल द्वारा अपील का यह दूसरा उदाहरण है त्वचा से त्वचा के संपर्क पर शीर्ष न्यायालय का फैसला

By भाषा | Updated: November 18, 2021 17:58 IST2021-11-18T17:58:10+5:302021-11-18T17:58:10+5:30

This is the second instance of appeal by the Attorney General, the Supreme Court's decision on skin-to-skin contact. | अटार्नी जनरल द्वारा अपील का यह दूसरा उदाहरण है त्वचा से त्वचा के संपर्क पर शीर्ष न्यायालय का फैसला

अटार्नी जनरल द्वारा अपील का यह दूसरा उदाहरण है त्वचा से त्वचा के संपर्क पर शीर्ष न्यायालय का फैसला

नयी दिल्ली,18 नवंबर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत एक मामले में बंबई उच्च न्यायालय के ‘त्वचा से त्वचा के संपर्क’ संबंधी विवादास्पद फैसला रद्द करते हुए उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह दूसरा उदाहरण है जब अटार्नी जनरल ने किसी उच्च न्यायालय के आपराधिक मामले में सुनाए गए किसी फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी।

फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति यू यू ललित ने कहा कि यह शायद पहली बार है कि अटार्नी जनरल ने आपरधिक मामले में अपील दायर की थी।

उन्होंने कहा, ‘‘यह शायद पहली बार है कि अटार्नी जनरल ने आपराधिक पक्ष पर फैसले को चुनौती दी...। ’’

न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट ने फिर स्पष्ट किया 1985 में तत्कालीन अटार्नी जनरल ने राजस्थान उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती दी थी।

तत्कालीन अटार्नी जनरल के. पराशरन ने उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ अपील की थी, जिसमें उच्च न्यायालय ने फांसी दिये जाने की तारीख, समय और स्थान के बारे में मीडिया के जरिये व्यापक प्रचार कर जयपुर के स्टेडियम मैदान या रामलीला मैदान में सार्वजनिक रूप से फांसी दिये जाने का आदेश दिया था।

शीर्ष अदालत ने अटार्नी जनरल बनाम लछमा देवी नाम से चर्चित इस मामले में कहा था कि सार्वजनिक रूप से फांसी दिया जाना एक बर्बर कार्य होगा जो संविधान के अनुच्छेद 21 का हनन करेगा।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने पॉक्सो अधिनियम के तहत एक मामले में बंबई उच्च न्यायालय के ‘‘त्वचा से त्वचा के संपर्क’’ संबंधी विवादित फैसला बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि यदि आरोपी और पीड़िता के बीच त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं हुआ है तो पॉक्सो कानून के तहत यौन अपराध का कोई मामला नहीं बनता है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि यौन हमले का सबसे महत्वपूर्ण घटक यौन मंशा है, बच्चों की त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं।

न्यायालय ने अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और राष्ट्रीय महिला आयोग की अलग-अलग अपील पर यह फैसला सुनाया।

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Web Title: This is the second instance of appeal by the Attorney General, the Supreme Court's decision on skin-to-skin contact.

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