आतंकवाद का कोई डर नहीं है, भय को नजर अंदाज कर बेल्जियम का जोड़ा कश्मीर के हरमुख घाटी पहुंचा

By भाषा | Published: September 13, 2019 09:03 PM2019-09-13T21:03:28+5:302019-09-13T21:03:28+5:30

डी सैम और उनकी दोस्त नालिया ने नारननाग के चरवाहों के साथ मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में 15,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित माउंट हरमुख झील घाटी की यात्रा की। इसे कश्मीर का कैलाश भी कहा जाता है।

There is no fear of terrorism, the Belgian couple reached the Harmukh valley of Kashmir, ignoring the fear. | आतंकवाद का कोई डर नहीं है, भय को नजर अंदाज कर बेल्जियम का जोड़ा कश्मीर के हरमुख घाटी पहुंचा

नालिया ने कहा, हरमुख की चोटी के पीछे सूर्योदय और सूर्यास्त देखना विशेष अनुभव है।

Highlightsसैम ने कहा, ‘‘ हम इस ऊंचाई पर स्थित माउंट हरमुख-गंगबल झील को देखना चाहते थे।हमने इसकी योजना तीन महीने पहले बनाई थी और हम जमीनी हालात में बदलाव के बावजूद यहां हैं।

दूतावासों के परामर्श से बेपरवाह बेल्जियम का एक जोड़ा जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने से महीनों पहले तैयार अपनी योजना पर कायम रहा और घाटी पहुंचा। जोड़ा घाटी के अनुभव से खुश है।

डी सैम और उनकी दोस्त नालिया ने नारननाग के चरवाहों के साथ मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में 15,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित माउंट हरमुख झील घाटी की यात्रा की। इसे कश्मीर का कैलाश भी कहा जाता है।

अल्पाइन के जंगल, हरे मैदान और झील में एकदम साफ पानी देख भावुक सैम ने कहा, ‘‘ हम इस ऊंचाई पर स्थित माउंट हरमुख-गंगबल झील को देखना चाहते थे। हमने इसकी योजना तीन महीने पहले बनाई थी और हम जमीनी हालात में बदलाव के बावजूद यहां हैं।

नालिया ने कहा, हरमुख की चोटी के पीछे सूर्योदय और सूर्यास्त देखना विशेष अनुभव है। उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को निष्प्रभावी करने के बाद गृह मंत्रालय ने संभावित आतंकवादी हमले की खुफिया सूचना के आधार पर सभी पर्यटकों से घाटी छोड़ने को कहा था।

इसकी वजह से विभिन्न देशों ने अपने नागरिकों को राज्य का दौरा नहीं करने की सलाह दी थी। सैम ने कहा, ‘‘हम दोनों परामर्श और आशंकाओं को दरकिनार करते हुए कुछ चरवाहों की मदद से यहां पहुंचे और पाया कि यहां कोई समस्या नहीं है। ये चरवाहे बहुत मददगार हैं। उन्होंने हमारी यात्रा को अरामदायक बनाया।

यहां आतंकवाद का कोई भय नहीं है। हम इस घाटी की खूबसूरती और आध्यात्मिक शांति से मुग्ध हैं।’’ सैम के बातों का दक्षिण भारत से आए कुछ घरेलू पर्यटकों ने भी समर्थन किया। हालांकि, इलाके में पर्यटकों की संख्या में कमी की वजह से स्थानीय लोगों की आय पर असर पड़ा है।

पर्यटकों को घोड़े मुहैया कराने का काम करने वाले नारननाग गांव के सरताज दीन ने कहा, ‘‘ पहले इस घाटी में रोजाना पर्यटक आते थे, लेकिन पांच अगस्त के बाद से पूरे महीने में केवल 10 से 15 पर्यटक ही यहां आए।’’ माउंट हरमुख और गंगबल झील जाने के लिए नारननाग गांव आधार शिविर है।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह कमाई का समय है। हम माउंट हरमुख आने वाले पर्यटकों से कमाते हैं लेकिन पांच अगस्त से इसमें कमी आई है। पड़ोस के सोनमर्ग हिल स्टेशन में मजदूर, स्लेज (बर्फ पर चलने वाला बिना पहियों का वाहन) चालक और गाइड का करने वाले चरवाहों को भी कम पर्यटकों की वजह से नुकसान हो रहा है।

स्लेज चालक का काम करने वाले कमर दीन ने कहा, हम बेरोजगार हो गए हैं क्योंकि पांच अगस्त के बाद से सभी होटल और हट (पर्यटकों के लिए बनी झोपड़ी) खाली हैं। इस मौसम में हम कमाई करते थे लेकिन अब कुछ भी करने को नहीं है। 

Web Title: There is no fear of terrorism, the Belgian couple reached the Harmukh valley of Kashmir, ignoring the fear.

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