"कर्पूरी ठाकुर की याद तब आयी, जब बिहार में जाति जनगणना हुई, मेरे गुरु हैं, 'भारत रत्न' तो बहुत पहले मिलना चाहिए था", लालू यादव का केंद्र पर हमला
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 24, 2024 06:54 AM2024-01-24T06:54:17+5:302024-01-24T07:00:55+5:30
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि कर्पूरी ठाकुर उनके "गुरु" थे और उन्हें तो बहुत पहले ही भारत रत्न का सम्मान मिल जाना चाहिए था।
पटना: मोदी सरकार द्वारा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने के ऐलान के बाद बिहार में सियायत अचानक गरमा गई है। केंद्र सरकार के इस फैसले को राजनीतिक कदम बताते हुए राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने बीते मंगलवार को हमला तो जरुर किया लेकिन साथ ही कर्पूरी ठाकुर को अपना "गुरु" बताते हुए यह भी कहा कि उन्हें तो बहुत पहले ही भारत रत्न का सम्मान मिल जाना चाहिए था।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार केंद्र पर निशाना साधते हुए राजद प्रमुख ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराने के बाद केंद्र सरकार की नींद खुली और उसने बहुजनों के हित पर ध्यान केंद्रित किया।
उन्होंने कहा, "मेरे राजनीतिक और वैचारिक गुरु कर्पूरी ठाकुर को बहुत पहले ही भारत रत्न मिल जाना चाहिए था। हमने सदन से लेकर सड़क तक उनको सम्मान देने के लिए आवाज उठाई थीा, लेकिन केंद्र सरकार की तो नींद तब खुली जब बिहार की गठबंधन सरकार ने जातीय जनगणना कराई। हमने बहुजनों के हित के लिए आरक्षण का दायरा बढ़ाया। राजनीति को दलित-बहुजन की चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करना होगा।"
इससे पहले दिन में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कर्पूरी ठाकुर के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न की घोषणा के लिए केंद्र सरकरा की प्रशंसा की।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, "बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और महान समाजवादी नेता स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर जी को देश का सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' देना बहुत खुशी की बात है। यह केंद्र सरकार का एक अच्छा निर्णय है। स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर जी को दिया गया यह सर्वोच्च सम्मान है। उनकी 100वीं जयंती पर सभी वर्गों में सकारात्मक भावनाएं पैदा होंगी। हम हमेशा स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर जी को 'भारत रत्न' देने की मांग करते रहे हैं। वर्षों पुरानी मांग आज पूरी हो गई है।''
इस बीच, राजद के मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जब कर्पूरी ठाकुर जीवित थे तो भाजपा उन्हें गालियां दे रही थी और बीते 9 सालों तक उन्हें याद नहीं किया।
उन्होंने कहा, "हमारी पार्टी और नेता लालू यादव लगातार उनके लिए भारत रत्न की मांग कर रहे थे। अब जब चुनाव नजदीक आ गए हैं, तो भाजपा वाले कर्पूरी ठाकुर को याद कर रहे हैं और उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया था। वे वोट के लिए उन्हें याद कर रहे हैं।"
मालूम हो कि भारक रत्न का सर्वोच्च सम्मान कर्पूरी ठाकुर के आजीवन समाज के वंचित वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित रहने और उनके द्वारा लड़ी गई सामाजिक न्याय के लिए दी गई है। बिहर में कर्पूरी ठाकुर को 'जन नायक' (पीपुल्स लीडर) कहा जाता है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को समाज के सबसे पिछड़े वर्गों में से एक नाई समाज में हुआ था और उनका निधन 17 फरवरी 1988 को हुआ था। ठाकुर बिहार के एक उल्लेखनीय नेता थे, जिनकी राजनीतिक यात्रा समाज के हाशिए पर मौजूद वर्गों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता से चिह्नित थी।
उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और सामाजिक भेदभाव और असमानता के खिलाफ संघर्ष में एक प्रमुख व्यक्ति थे। प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करते हुए वह बाद में 1977 से 1979 तक बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में अपने प्रारंभिक कार्यकाल के दौरान जनता पार्टी के साथ जुड़ गए। समय के साथ उन्होंने जनता दल के साथ संबंध स्थापित किए, जो कि उनकी राजनीतिक संबद्धता के महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक था।