बिहार: वैशाली में बुद्ध सम्यक संग्रहालय के निर्माण की धीमी हुई रफ्तार

By भाषा | Updated: May 7, 2019 14:54 IST2019-05-07T14:54:28+5:302019-05-07T14:54:28+5:30

बिहार सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, फरवरी 2013 में राज्य कैबिनेट ने संग्रहालय का निर्माण करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। भूमि अधिग्रहण एवं अन्य तकनीकी कारणों से इसमें देरी हुई ।

The speed of construction of Buddha Samyak Museum in Vaishali | बिहार: वैशाली में बुद्ध सम्यक संग्रहालय के निर्माण की धीमी हुई रफ्तार

बिहार: वैशाली में बुद्ध सम्यक संग्रहालय के निर्माण की धीमी हुई रफ्तार

वैशाली में मिली भगवान बुद्ध की अस्थियों को वहां एक संग्रहालय बनाकर सहेजने की प्रक्रिया बेहद धीमी गति से चल रही है, हालांकि इसका काम पिछले छह वर्षों से जारी है। बिहार सरकार से इस संबंध में पटना उच्च न्यायालय के सात दिसंबर 2010 के फैसले को एक साल में लागू करने की अपेक्षा थी। संग्रहालय के लिये 72 एकड़ जमीन भी अधिग्रहित की गई। लेकिन अदालत के फैसले के करीब नौ वर्ष बाद भी संग्रहालय का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है ।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में 315 करोड़ रुपये की लागत से 72 एकड़ क्षेत्र में निर्मित होने वाले बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय वैशाली एवं स्मृति स्तूप का शिलान्यास रिमोट के माध्यम से किया। बुद्ध की अस्थियां 1958 में हुई खुदाई में वैशाली से प्राप्त हुई थीं और फिलहाल उन्हें पटना के संग्रहालय में रखा गया है। वैशाली वह स्थान है, जहां बुद्ध ने पहली बार संघ में महिलाओं को प्रवेश दिया था।

बिहार सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, फरवरी 2013 में राज्य कैबिनेट ने संग्रहालय का निर्माण करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। भूमि अधिग्रहण एवं अन्य तकनीकी कारणों से इसमें देरी हुई । भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की योजना के अनुसार, बुद्ध संग्रहालय के अलावा इस स्थान पर पत्थर का एक स्तूप बनाया जाएगा।

संग्रहालय में भगवान बुद्ध के गृह त्याग, बुद्ध की मौसी गौतमी के साथ पहली बार संघ में महिलाओं के प्रवेश (प्रवज्या), भगवान बुद्ध और महान नृत्यांगना आम्रपाली समेत उनके जीवन के विविध प्रसंगों पर आधारित भित्ति चित्र, प्रतिकृतियां एवं पुरातात्विक महत्व की वस्तुएं रखी जाएंगी। पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री एवं वैशाली के पूर्व सांसद रघुवंश प्रसाद सिंह ने 'भाषा’ को बताया कि वैशाली में संग्रहालय स्थापित करने की जन आकांक्षा और अदालत का निर्णय सर्वोपरि है।

इसके लिए 72 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई है। इसके तहत पत्थर का स्तूप बनाया जायेगा और यह कार्य आईआईटी की देखरेख में कराने का प्रस्ताव है। इस मामले में एक स्थानीय व्याख्याता डॉ रामनरेश राय की अगुआई में कुछ प्रबुद्ध लोगों ने 2008 में पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी।

इसी याचिका पर अदालत ने सात दिसंबर 2010 को फैसला सुनाते हुए वहां संग्रहालय और बौद्ध केंद्र की स्थापना करने को कहा था । वैशाली में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक छोटा संग्रहालय है लेकिन वहां टेराकोटा की कुछ वस्तुओं तथा सिक्कों के कुछ साँचों को ही प्रदर्शन के लिये रखा गया है। 

Web Title: The speed of construction of Buddha Samyak Museum in Vaishali

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