दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में नहीं दिखा रमज़ान का चांद, पहला रोज़ा बुधवार को

By भाषा | Published: April 12, 2021 08:35 PM2021-04-12T20:35:48+5:302021-04-12T20:35:48+5:30

The moon of Ramadan did not show in many parts of the country, including Delhi, the first fast on Wednesday | दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में नहीं दिखा रमज़ान का चांद, पहला रोज़ा बुधवार को

दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में नहीं दिखा रमज़ान का चांद, पहला रोज़ा बुधवार को

नयी दिल्ली, 12 अप्रैल दिल्ली, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक समेत देश के किसी भी हिस्से में सोमवार को रमज़ान का चांद नहीं दिखा, लिहाज़ा पहला रोज़ा बुधवार को होगा।

दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मौलाना मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “दिल्ली में सोमवार को रमज़ान का चांद नज़र नहीं आया है। इसलिए पहला रोज़ा 14 अप्रैल यानी बुधवार को होगा।”

उन्होंने कहा कि मंगलवार को इस्लामी कलेंडर के आठवें महीने शाबान का 30वां दिन होगा।

जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने सार्वजनिक बयान जारी कर बताया, “ उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, असम कर्नाटक और पश्चिम बंगाल समेत कई सूबों में राब्ता (संपर्क) कायम किया गया और कहीं से भी चांद नज़र आने की खबर नहीं मिली है।”

उन्होंने कहा, ‘‘ ऐलान किया जाता है कि पहला रोज़ा 14 अप्रैल को बुधवार को होगा।”

इमरात-ए-शरिया-ए-हिंद ने भी एक बयान में ऐलान किया कि आज देश में कहीं भी चांद नज़र नहीं आया है और पहला रोज़ा 14 अप्रैल को होगा।

मुफ्ती मुकर्रम ने कहा कि कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए लोगों से अपील की गई है कि रमज़ान के महीने में होने वाली विशेष नमाज़ ‘तराहवी’ को घर में अदा करें।

उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से इसे लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं है, फिर भी लोगों से घर में ही ‘तराहवी’ की नमाज़ अदा करने की गुज़ारिश की गई है।

फतेहपुरी मस्जिद के इमाम ने कहा कि ‘तराहवी’ में पूरे कुरान का पाठ करना जरूरी नहीं होता है, बल्कि यह विशेष नमाज़ जरूरी होती है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में मौजूदा दिशा-निर्देशों के मुताबिक, ‘तराहवी’ हो सकती है, लेकिन इससे मस्जिदों में भीड़ होगी, इसलिए ‘हमने लोगों से गुजारिश की है वे घरों में ही ताराहवी की नमाज़ अदा करें।”

बता दें कि, ‘तराहवी की नमाज़’ में हाफिज़-ए-कुरान (जिसे कुरान मुंह-जुबानी याद होता है) इस पवित्र किताब का पाठ करता है और उसके पीछे बड़ी संख्या में लोग कुरान सुनते हैं।

रमज़ान इस्लामी कलेंडर का नौवां महीना है। इस पूरे महीने दुनियाभर के मुसलमान सूरज निकलने से पहले से लेकर सूर्य अस्त होने तक कुछ खाते-पीते नहीं हैं। इसे रोज़ा कहा जाता है। इस महीने की मुसलमानों के बीच काफी अहमियत है और समुदाय के लोग बड़ी संख्या में मस्जिदों का रुख कर नमाज़ अदा करते हैं और अन्य इबादतें करते हैं।

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