उप राज्यपाल अब दिल्ली के प्रमुख शासक, गृहमंत्रालय ने कानून को अधिसूचित किया

By भाषा | Updated: April 28, 2021 16:18 IST2021-04-28T16:18:35+5:302021-04-28T16:18:35+5:30

The Lt. Governor is now the principal ruler of Delhi, the Ministry of Home Affairs notified the law. | उप राज्यपाल अब दिल्ली के प्रमुख शासक, गृहमंत्रालय ने कानून को अधिसूचित किया

उप राज्यपाल अब दिल्ली के प्रमुख शासक, गृहमंत्रालय ने कानून को अधिसूचित किया

नयी दिल्ली, 28 अप्रैल केंद्र द्वारा नए कानून को अधिसूचित किए जाने के साथ ही उप राज्यपाल राष्ट्रीय राजधानी के मुख्य प्रशासक बन गए हैं। इसके साथ ही अब स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली की निर्वाचित सरकार को कार्यकारी फैसले लेने के लिए उपराज्यपाल से राय लेनी होगी।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) अधिनियम, 2021 को अधिसूचित कर दिया है और यह मंगलवार रात से प्रभावी हो गया है। इस कानून को ऐसे समय लागू किया गया है जब दिल्ली कोविड-19 महामारी से जूझ रही है और स्वास्थ्य प्रणाली ढहने की कगार पर है।

गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक कानून के प्रावधान 27 अप्रैल से प्रभावी हो गए हैं।

दिल्ली के तीन अहम विषय - कानून व्यवस्था, पुलिस और भूमि- पहले ही केंद्र सरकार के अधीन थे जबकि स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, वन और परिवहन दिल्ली के निर्वाचित सरकार के अधीन थे।

केंद्रीय गृहमंत्रालय की अधिसूचना ने कानून के तहत केंद्र सरकार द्वारा नामित उपराज्यपाल की प्रधानता स्थापित की गई है। दिल्ली सरकार को अब किसी भी विषय पर कदम उठाने से पहले उप राज्यपाल की अनुमति लेनी होगी।

कानून के मुताबिक दिल्ली की ‘सरकार’ का अभिप्राय ‘उपराज्यपाल’ है।

गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव गोविंद मोहन के हस्ताक्षर के साथ जारी अधिसूचना में कहा गया, ‘‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) अधिनियम, 2021 (2021 का 15) की धारा एक की उपधारा -2 में निहित शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार 27 अप्रैल 2021 से अधिनियम के प्रावधानों को लागू करती है।’’

इस कानून को ऐसे समय अधिसूचित किया है जब केंद्र और अरविंद केजरीवाल नीत सरकार महामारी से निपटने के मुद्दे पर लोगों की नजर में है और ऑक्सीजन, अस्पतालों में बिस्तर और आवश्यक दवाओं की कमी है।

मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोविड-19 मरीजों के लिए जरूरी ऑक्सीजन और अहम दवाइयों की कालाबाजारी रोकने में आप सरकार की काथित ‘नाकामी’ पर फटकार लगाई थी। अदालत ने कहा कि अगर राज्य सरकार हालात को नहीं संभाल सकती तो केंद्र से कहेंगे कि वह गैस भरने वाले संयंत्र को अपने कब्जे में ले लेकिन लोगों को इस तरह से मरने नहीं दे सकते।

उल्लेखनीय है कि संसद ने इस कानून को पिछले महीने पारित किया था। लोकसभा ने 22 मार्च को और राज्यसभा ने 24 मार्च- को इसको मंजूरी दी थी।

जब इस विधेयक को संसद ने पारित किया था तब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे ‘‘भारतीय लोकतंत्र के लिए दुखद दिन’ करार दिया था।

कानून के कारणों के बारे में बताते हुए कहा, ‘‘यह विधेयक विधायिका और कार्यपालिका के बीच सौहार्द्रपूण संबंधों को प्रोत्साहित करेगा, चुनी हुई सरकार और उपाराज्यपाल की जिम्मेदारी को दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार की संवैधानिक योजना एवं उच्चतम न्यायालय की व्याख्या के अनुरूप परिभाषित करेगा।’’

कानून में कहा गया, ‘‘जब विधेयक विधानसभा में पारित किया जाना हो तो उसे उप राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए और उपराज्यपाल घोषित करेंगे कि वह उस विधेयक पर सहमत हैं या सहमति लंबित रखेंगे या विधेयक को राष्ट्रपति के विचाराधीन रखेंगे।’’

उल्लेखनीय है कि दिल्ली के उप राज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच शक्ति को लेकर हुई रस्साकशी पर जुलाई 2018 में आए उच्चतम न्यायालय के फैसले के दौरान भी केंद्र ने कहा था कि शक्ति उपराज्यपाल में निहित है।

केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने जब संसद में संसोधन विधेयक पेश किया तो उन्होंने कहा कि इससे दिल्ली एनसीटी की सरकार में पारदर्शिता एवं स्पष्टता आएगी और जवाबदेही तय होगी।

मंत्री ने कहा कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है और उसे पूरी शक्ति नहीं है जबकि कार्यकारी अधिकार के मामले में दिल्ली के उप राज्यपाल के अधिकार राज्यों के राज्यपाल से अलग है।

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Web Title: The Lt. Governor is now the principal ruler of Delhi, the Ministry of Home Affairs notified the law.

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