रौशनी घोटाले ने ‘गुपकर बंगलों’ को ही जगमगाया था जबकि गरीबों के लिए आशाएं बुझा दीं: जितेंद्र सिंह
By भाषा | Updated: December 2, 2020 22:46 IST2020-12-02T22:46:08+5:302020-12-02T22:46:08+5:30

रौशनी घोटाले ने ‘गुपकर बंगलों’ को ही जगमगाया था जबकि गरीबों के लिए आशाएं बुझा दीं: जितेंद्र सिंह
जम्मू, दो दिसंबर जम्मू कश्मीर में प्रतिद्वंद्वी दलों पर ताजा हमला करते हुए भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को कहा कि रौशनी घोटाले ने ‘गुपकर बंगलों’ को ही जगमगाया था जबकि गरीबों के लिए आशाएं बुझा दीं।
उन्होंने कहा कि रौशनी योजना बिजली परियोजनाओं के वास्ते करीब 25000 करोड़ रूपये जुटाने के उद्देश्य से 2001 में तत्कालीन सरकार ने शुरू की थी ताकि समाज के कमजोर तबकों समेत हर परिवार को बिजली मिल पाए।
कार्मिक राज्य मंत्री ने कहा, ‘‘ लेकिन अंतिम सौदेबाजी में , जो देखा गया वह यह था कि गुपकर रोड एवं अन्य स्थानों पर आलीशान बंगलों के निर्माण के लिए लूट का घोटाला चला जबकि गरीबों को न तो बिजली मिल और न ही घर मिला। ’’
उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘रौशनी घोटाले ने ‘गुपकर बंगलों’ को ही जगमगाया था जबकि गरीबों के लिए आशाएं बुझा दीं।’’
भाजपा सरकारी और वन भूमि के कथित अतिक्रमण को लेकर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला समेत कांग्रेस, पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं पर निशाना साध रही है।
एक नवंबर को केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन ने जम्मू कश्मीर जमीन (कब्जादारों को स्वामित्व देना) अधिनिनियम, 2001 -- जिसे रौशनी अधिनियम भी कहा जाता है, के तहत हुए सारे भूखंड अंतरण को रद्द कर दिया।
जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने रौशनी अधिनियम को ‘अवैध, असंवैधानिक और अनुचित ’ घोषित किया था तथा इस कानून के तहत हुए भूखंड आवंटनों की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
सिंह ने कहा कि पिछले दशक भर से भाजपा रौशनी येाजना के नाम पर हुई इस ‘‘लूट’ की सघन एवं निष्पक्ष जांच की मांग करती आ रही है लेकिन नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी की एक के बाद एक कर आयी सरकारें जांच पर राजी नहीं हुईं, उल्टे इस घोटाले की ‘लीपापोती’ करने की कोशिश की गयी क्योंकि तत्कालीन सरकारों के मुख्यमंत्री स्वयं ही लाभार्थी हैं।
उन्होंने कहा कि जब मोदी सरकार आयी तभी केवल ऐसा हुआ कि जांच एजेंसियों को अपना काम करने की पूरी छूट दी गयी और पूरा घोटाला सामने आया।
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