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जबरन धर्मांतरण के खिलाफ अध्‍यादेश को राज्‍यपाल ने दी मंजूरी

By भाषा | Updated: November 28, 2020 17:05 IST

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लखनऊ, 28 नवंबर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने ‘उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्‍यादेश, 2020’ को मंजूरी दे दी है। इस अध्यादेश के तहत जबरन या धोखे से धर्मांतरण कराये जाने और शादी करने पर दस वर्ष की कैद और विभिन्‍न श्रेणी में 50 हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव (विधायी) अतुल श्रीवास्‍तव ने राज्‍यपाल की मंजूरी के बाद ‘उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्‍यादेश, 2020' की अधिसूचना शनिवार को जारी कर दी।

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की अध्‍यक्षता में गत मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में इस अध्‍यादेश को मंजूरी दी गई थी। इसमें विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

राज्‍यपाल से इस अध्‍यादेश को शनिवार को मंजूरी मिलने के कुछ घंटे बाद ही समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष और पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने पत्रकार वार्ता में कहा, ''जब इस अध्यादेश को विधेयक के रूप में विधानसभा में पेश किया जायेगा तो उनकी पार्टी इसका पूरी तरह विरोध करेगी।''

पत्रकारों के सवाल के जवाब में यादव ने कहा कि सपा ऐसे किसी कानून के पक्ष में नहीं है। उन्‍होंने कहा कि सरकार एक तरफ अंतरजातीय और अन्तर्धार्मिक विवाह को प्रोत्‍साहन दे रही और दूसरी तरफ इस तरह का कानून बना रही है, तो यह दोहरा बर्ताव क्‍यों है?

विशेषज्ञों का कहना है कि अध्‍यादेश छह माह तक प्रभावी रह सकता है और उसके बाद कानून बनाने के लिए विधानसभा में विधेयक लाना जरूरी होगा।

यादव ने यह स्‍पष्‍ट कहा कि उनकी पार्टी ऐसे कानून का विरोध करेगी।

पिछले दिनों उपचुनाव के दौरान मुख्‍यमंत्री योगी ने कहा था कि सरकार ‘लव जिहाद’ से निपटने के लिए एक नया कानून बनाएगी। उन्‍होंने जौनपुर और देवरिया की जनसभाओं को संबोधित करते हुए बहन बेटियों का सम्‍मान न करने वालों को चेतावनी दी थी और कहा था कि ऐसे लोग अगर नहीं सुधरे तो उनका राम नाम सत्‍य (हिंदू धर्म में अंतिम संस्‍कार के समय इसे बोलते हैं) हो जाएगा।

पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी के इस बयान पर भी तंज कसा।

हाल में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्‍व वाली उत्‍तर प्रदेश, हरियाणा और मध्‍यप्रदेश जैसे राज्‍यों की सरकारों ने कथित लव जिहाद के मामलों को लेकर कानून बनाने की घोषणा की थी जिसमें सबसे पहले उत्‍तर प्रदेश ने अध्‍यादेश लागू किया जो शनिवार से प्रभावी हो गया।

उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने पिछले साल एक रिपोर्ट पेश की थी जिसमें जबरन धर्मांतरण पर रोक के लिए एक नया कानून बनाने का सुझाव दिया गया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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