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कोरोना मरीज की कथित तौर पर मौत के बाद परिवार ने किया अंतिम संस्कार, एक सप्ताह बाद घर लौटा शख्स, जानें पूरा मामला

By अनुराग आनंद | Updated: November 24, 2020 11:33 IST

अधिकारियों ने लापरवाही को स्वीकार करते हुए कहा कि शिबदास बनर्जी के परिवार की पहचान सही से नहीं कर पाने की वजह से मिलते-जुलते नाम के एक अन्य मरीज के शव को परिवार के लोगों को सौंप दिया गया।

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ठळक मुद्देशिबदास मुखर्जी को भी 4 नवंबर को COVID-19 उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था।कोविड अस्पताल की लापरवाही की वजह से पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना जिले में यह घटना घटी है।

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। मिल रही जानकारी के मुताबिक, एक कोरोना मरीज की मौत के बाद उसके परिवार वालों ने मृत शख्स का अंतिम संस्कार कर दिया। लेकिन, हैरान करने वाली बात तो तब हुई जब अंतिम संस्कार किए जाने के करीब एक सप्ताह बाद ही एक बार फिर से घर की चौखट पर उसी शख्स को परिवार के लोगों ने देखा।

जैसे ही कथित तौर पर मृत कोरोना मरीज शख्स के परिवार के लोगों को अस्पताल द्वारा फोन कर बताया गया कि उनके परिवार के मरीज जिंदा हैं तो सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए। 

टाइम्स नाऊ रिपोर्ट की मानें तो कोविड अस्पताल की लापरवाही की वजह से पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना जिले में गलती से एक बुजुर्ग कोरोना संक्रमित मरीज को मृत घोषित कर दिया गया और अंतिम संस्कार के लिए उस कथित तौर पर मृत मरीज के रिश्तेदारों को एक अन्य मरीज के शव को सौंप दिया गया।

बता दें कि 24 परगना क्षेत्र के ही रहने वाले 75 वर्ष के शिबदास बनर्जी को कोरोनो वायरस पॉजिटिव पाए जाने के बाद 4 नवंबर को बलरामपुर बसु अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

13 नवंबर को, अस्पताल ने उनके रिश्तेदारों को सूचित किया कि उन्होंने संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया और परिजनों को एक शव सौंप दिया। इसके बाद परिवार वालों ने शव का तब अंतिम संस्कार भी कर दिया।

एक हफ्ते बाद, जब बनर्जी के श्राद्ध समारोह की तैयारियां उनके घर पर चल रही थीं, अस्पताल ने उनके परिवार को फोन किया और सूचित किया कि वह जीवित हैं और COVID-19 से वह ठीक हो गए हैं और जो शरीर उन्हें दिया गया था, वह किसी अन्य रोगी का था। इसके बाद परिवार के लोग अस्पताल गए और बनर्जी को वापस घर ले आए। 

इस मामले में अधिकारियों ने लापरवाही को स्वीकार करते हुए कहा कि शिबदास बनर्जी के परिवार की पहचान सही से नहीं कर पाने की वजह से मिलते-जुलते नाम होने के कारण मोहिनीमोहन मुखर्जी (75) नामक एक अन्य रोगी के शरीर को सौंप दिया गया था।

मुखर्जी को भी 4 नवंबर को COVID-19 उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बाद में बारासात के एक कोरोना सेंटर में स्थानांतरित कर दिया गया था। 

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