मूल परिणाम सुरक्षित रखने के निर्देश के लिए याचिका पर न्यायालय छह दिसम्बर को सुनवाई करेगा

By भाषा | Updated: November 22, 2021 18:18 IST2021-11-22T18:18:43+5:302021-11-22T18:18:43+5:30

The court will hear the petition on December 6 for directions to preserve the original result. | मूल परिणाम सुरक्षित रखने के निर्देश के लिए याचिका पर न्यायालय छह दिसम्बर को सुनवाई करेगा

मूल परिणाम सुरक्षित रखने के निर्देश के लिए याचिका पर न्यायालय छह दिसम्बर को सुनवाई करेगा

नयी दिल्ली, 22 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह कुछ छात्रों की उस याचिका पर छह दिसंबर को सुनवाई करेगा, जिसमें उन्होंने अपने मूल परीक्षा परिणाम संरक्षित रखने का केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को निर्देश देने का अनुरोध किया है। ये छात्र 12 वीं में अपने अंक सुधारने के लिए सीबीएसई की परीक्षा में शामिल हुए थे।

यह याचिका उन 11 छात्रों द्वारा दायर की गई है, जिन्हें सीबीएसई द्वारा 30:30:40 की मूल्यांकन नीति के आधार पर मूल परिणामों में उत्तीर्ण घोषित किया गया था और बाद में इस साल अगस्त-सितंबर में आयोजित सुधार परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी गई थी।

याचिका में कहा गया है कि बोर्ड ने अंक सुधार के लिए आयोजित परीक्षा में या तो याचिकाकर्ताओं को अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया है या उन्हें बहुत ही कम अंक दिये हैं। याचिकाकर्ताओं को आशंका है कि इसके आधार पर उनके मूल परीक्षा परिणाम को ही नहीं रद्द कर दिया जाए, जिसमें उन्हें उत्तीर्ण घोषित किया गया था।

यह मामला जब न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया तो सीबीएसई के वकील ने कहा कि उन्हें रविवार को ही याचिका की प्रति प्राप्त हुई है और उन्हें निर्देश के लिए कुछ समय चाहिए। इसके बाद पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए छह दिसम्बर की तारीख मुकर्रर की।

अधिवक्ता रवि प्रकाश के माध्यम से दायर याचिका में सीबीएसई को 12वीं कक्षा के उन छात्रों को अनुत्तीर्ण घोषित नहीं करने का निर्देश देने की मांग की गई है, जिन्हें मूल्यांकन नीति के आधार पर मूल परिणामों में पहले ही उत्तीर्ण घोषित कर दिया गया था।

याचिका में सीबीएसई की 17 जून की मूल्यांकन नीति के एक उपबंध का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि जो छात्र नीति के आधार पर किए गए मूल्यांकन से संतुष्ट नहीं हैं, उन्हें बोर्ड द्वारा अनुकूल मौके पर आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में शामिल होने का अवसर दिया जाएगा। उपबंध के अनुसार, बाद की परीक्षाओं में प्राप्त अंकों को अंतिम माना जाएगा।

याचिका में कहा गया है कि ऑफ़लाइन परीक्षा में शामिल होने का अवसर प्रदान करने का उद्देश्य अंक में सुधार करने का अवसर देना था, न कि उन छात्रों को नुकसान में डालना, जिन्हें पहले ही उत्तीर्ण घोषित कर दिया गया था।

याचिका के अनुसार, "आधिकारिक प्रतिवादी (सीबीएसई) की निष्क्रियता संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निर्दोष छात्रों के मौलिक अधिकारों को छीनने के समान है, यानी जीवन का अधिकार जिसमें आजीविका का अधिकार शामिल है। यह संविधान के अनुच्छेद 21ए में दिये गये अधिकार का भी उल्लंघन है, जो उच्च शिक्षा पर आधारित है।’’

याचिका में कहा गया है, "इसलिए, संविधान के अनुच्छेद 21, 21ए और 14 के उल्लंघन के रूप में आधिकारिक प्रतिवादी की कार्रवाई असंवैधानिक, अवैध और मनमाना है।’’

सीबीएसई की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, 34,317 नियमित छात्र अपने अंकों में सुधार के उद्देश्य से ऑफलाइन परीक्षाओं में शामिल हुए थे।

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Web Title: The court will hear the petition on December 6 for directions to preserve the original result.

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