हत्या के आरोपी को जबरन जेल परिसर से ले जाने के मामले में अदालत ने पुलिस को फटकार लगाई

By भाषा | Updated: December 26, 2020 22:10 IST2020-12-26T22:10:07+5:302020-12-26T22:10:07+5:30

The court reprimanded the police for forcibly taking the murder accused from the prison premises | हत्या के आरोपी को जबरन जेल परिसर से ले जाने के मामले में अदालत ने पुलिस को फटकार लगाई

हत्या के आरोपी को जबरन जेल परिसर से ले जाने के मामले में अदालत ने पुलिस को फटकार लगाई

नयी दिल्ली, 26 दिसंबर एक स्थानीय अदालत ने शनिवार को दिल्ली पुलिस को उस समय फटकार लगाई, जब उसे सूचित किया गया कि हत्या के एक आरोपी के साथ तिहाड़ जेल परिसर में कुछ अज्ञात लोगों और पुलिसकर्मियों ने कथित रूप से मारपीट की और उसके बाद उसे एक कार में जबरन बाहर ले गए थे।

आरोपी आत्मसमर्पण करने के लिए वहां गया था। बाद में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया था।

आरोपी के वकील ने अदालत में इस संबंध में याचिका दायर की है।

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने कहा कि यह स्पष्ट तौर पर पुलिस द्वारा किया गया ''दुर्व्यवहार'' का मामला था और गिरफ्तारी की शक्ति का उपयोग किसी भी सूरत में आरोपी को ''धमकाने'' के लिए नहीं किया जा सकता है।

साथ ही अदालत ने संबंधित पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को निर्देश दिया कि वे कानून के अनुसार गिरफ्तारी की प्रक्रिया के बारे में कर्मचारियों को संवेदनशील बनाएं।

आरोपी के वकील ने शुक्रवार को अदालत को बताया कि जब उसका मुवक्किल जेल में आत्मसमर्पण करने गया तो पुलिसकर्मियों समेत कुछ अज्ञात लोगों ने उसके साथ मारपीट की और उसे कार में बैठाकर ले गए।

इससे पहले अदालत ने हत्या के एक आरोपी के ठिकाने और जांच की मौजूदा स्थिति के बारे में दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट मांगी थी।

सुनवाई के दौरान पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उन्हें सूचना मिली थी कि अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने के वास्ते आरोपी कार्तिक अपने तीन-चार सहयोगियों के साथ तिहाड जेल आ सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम तैनात की गई और जैसे ही वह आया उसे हिरासत में ले लिया गया, जिसके बाद आरोपी को सुभाष पैलेस पुलिस थाना लाया गया।

मामले के जांच अधिकारी (आईओ) ने अदालत को बताया कि आरोपी को गिरफ्त में लेने वाले सभी लोग पुलिस थाने से ही थे।

अदालत ने आरोपी कार्तिक को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

हत्या के मामले में कार्तिक के आत्मसमर्पण के लिए 12 दिसंबर को एक आवेदन दिया गया था और अदालत ने जांच अधिकारी को 23 दिसंबर को मामले में रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया था।

जांच अधिकारी जब 25 दिसंबर को अदालत में पेश नहीं हुए तो अदालत ने गौर किया कि यह उसके आदेशों की घोर अवहेलना है।

अदालत ने 25 दिसंबर को अपने आदेश में कहा, ‘‘जांच अधिकारी न केवल अदालत में पेश नहीं हुए, बल्कि उन्होंने अदालत के कर्मचारियों के फोन कॉल से बचने के लिए अपने मोबाइल फोन को भी बंद कर लिया। प्राथमिकी के बारे में अब तक कोई रिपोर्ट नहीं दायर की गयी है।''

वकील अनवर अहमद खान ने पुरुषेंद्र भारद्वाज के साथ याचिका दायर की जिसमें कहा गया है कि 25 दिसंबर की सुबह कुछ अज्ञात लोगों ने जेल परिसर में प्रवेश करने के बाद आरोपी और उसके वकील के साथ मारपीट की।

इसमें आगे आरोप लगाया गया है कि दो-तीन पुलिसकर्मी भी जेल में आ गए और कार्तिक को जबरन गाड़ी में बिठाकर बाहर ले गए।

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Web Title: The court reprimanded the police for forcibly taking the murder accused from the prison premises

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