कोर्ट ने JNU से सवाल किया कि जब कक्षाएं नहीं हुईं तो ऑनलाइन परीक्षाएं लेने का क्या उद्देश्य

By भाषा | Updated: January 29, 2020 17:35 IST2020-01-29T17:35:40+5:302020-01-29T17:35:40+5:30

न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने विश्वविद्यालय से सवाल किया, ‘‘कक्षाएं नहीं हुईं। तो परीक्षाएं लेने का क्या उद्देश्य है जब छात्रों को शिक्षित नहीं किया गया? परीक्षाओं का उद्देश्य इसका मूल्यांकन करना होता है कि छात्रों ने क्या सीखा है। लेकिन यदि कोई कक्षाएं नहीं हुईं तो उनका क्या मूल्यांकन किया जाएगा? क्या उनका मूल्यांकन इसके आधार पर होगा कि पुस्तकों में क्या लिखा है।’’

The court questioned the JNU that what was the purpose of taking online exams when classes were not held? | कोर्ट ने JNU से सवाल किया कि जब कक्षाएं नहीं हुईं तो ऑनलाइन परीक्षाएं लेने का क्या उद्देश्य

अंतिम सेमेस्टर परीक्षाएं वैकल्पिक तरीके से कराने के विश्वविद्यालय के निर्णय को चुनौती दी है।

Highlightsनलाइन ‘ओपन बुक’ या ‘होम इक्जाम्स’ लेने के निर्णय को छात्रों और जेएनयू के कई प्रोफेसरों ने चुनौती दी है।मानसून सेमेस्टर की बाकी कक्षाएं कैसे हो सकती हैं और परीक्षाएं कैसे ली जा सकती हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से सवाल किया कि जब कक्षाएं नहीं हुईं तो आनलाइन परीक्षाएं लेने का क्या उद्देश्य है।

न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने विश्वविद्यालय से सवाल किया, ‘‘कक्षाएं नहीं हुईं। तो परीक्षाएं लेने का क्या उद्देश्य है जब छात्रों को शिक्षित नहीं किया गया? परीक्षाओं का उद्देश्य इसका मूल्यांकन करना होता है कि छात्रों ने क्या सीखा है। लेकिन यदि कोई कक्षाएं नहीं हुईं तो उनका क्या मूल्यांकन किया जाएगा? क्या उनका मूल्यांकन इसके आधार पर होगा कि पुस्तकों में क्या लिखा है।’’

जेएनयू के मानसून सेमेस्टर के लिए आनलाइन ‘ओपन बुक’ या ‘होम इक्जाम्स’ लेने के निर्णय को छात्रों और जेएनयू के कई प्रोफेसरों ने चुनौती दी है। अदालत ने जेएनयू के विभिन्न स्कूल और विशेष केंद्रों के ‘बोर्ड आफ स्टडीज’ से इस बारे में सिफारिशें देने के लिए कहा है कि मानसून सेमेस्टर की बाकी कक्षाएं कैसे हो सकती हैं और परीक्षाएं कैसे ली जा सकती हैं।

अदालत ने बोर्ड से कहा कि वह अपनी सिफारिशें जेएनयू के शैक्षणिक परिषद को भेजे और उसकी एक प्रति चार फरवरी को मामले की अगली सुनवाई से पहले अदालत में पेश करे। प्रोफेसरों और छात्रों का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता रितिन राव कर रहे थे।

प्रोफेसर और छात्रों ने 2019 मानसून सेमेस्टर के लिए अंतिम सेमेस्टर परीक्षाएं वैकल्पिक तरीके से कराने के विश्वविद्यालय के निर्णय को चुनौती दी है। विश्वविद्यालय ने निर्णय किया है कि वह मानसून सेमेस्टर के लिए परीक्षाएं प्रश्नपत्र विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड करके या उसे ईमेल से छात्रों को भेजकर और उत्तर पुस्तिकाएं ईमेल और व्हाट्ऐप मेसेज के जरिये प्राप्त करके लेगा।

याचिकाएं अधिवक्ताओं समीक्षा गोडियाल और अभिक चिमनी के माध्यम से दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में विश्वविद्यालय के उस परिपत्र का भी विरोध किया गया है जिसमें प्रोफेसरों को 2020 शीतकालीन सेमेस्टर के लिए कोर्स वर्क शुरू करने का निर्देश देते हुए कहा गया है कि निर्देश कुलपति के दिशानिर्देश पर जारी किये गए हैं जो उन्होंने जेएनयू कानून और विश्वविद्यालय की संविधियों के तहत मिली अपनी असाधारण शक्तियाँ का इस्तेमाल करते हुए दिये हैं।

याचिकाकर्ताओं ने अपनी अर्जियों में दलील दी है कि जेएनयू के कुलपति को इस तरह की परीक्षाओं की इजाजत देने का अधिकार नहीं है जब विश्वविद्यालय के तहत आने वाले विभिन्न स्कूल और विशेष केंद्रों में पूर्ण पाठ्यक्रम पूरा नहीं किया गया है। अदालत याचिकाओं की दलीलों से सहमत प्रतीत हुआ। अदालत ने कहा, ‘‘उन्होंने (कुलपति) जिस शक्ति का इस्तेमाल किया वह इस उद्देश्य के लिए नहीं हो सकती। उनके पास जो शक्ति है वह अन्य उद्देश्यों के लिए है। बोर्ड आहूत हो और उसमें निर्णय लिया जाए।’’

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) पिंकी आनंद ने अदालत से कहा कि विश्वविद्यालय अतिरिक्त कक्षाएं आयोजित करने को तैयार है। जेएनयू की ओर से पेश हुई एएसजी ने कहा कि यद्यपि परीक्षाएं आयोजित किये जाने की पूरी प्रक्रिया पर गौर करने से समय की बर्बादी होगी क्योंकि शीतकालीन सेमेस्टर शुरू हो चुका है।

उन्होंने यह भी कहा कि ‘आनलाइन ओपन बुक’ या ‘होम इक्जाम्स’ छात्रों की जांचते हैं और ये सामान्य होते हैं। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि परिपत्र फैकल्टी सदस्यों से मशविरा के बिना जारी किये गए। याचिकाकर्ताओं ने परिपत्रों को रद्द करने, 2019 मानसून सेमेस्टर को बढ़ाने और जेएनयू को कोर्स वर्क, परीक्षाएं और प्रत्येक सेमेस्टर के लिए पंजीकरण अनिवार्य प्रक्रियाओं के सख्त अनुपालन में करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। 

Web Title: The court questioned the JNU that what was the purpose of taking online exams when classes were not held?

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