सेना के दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर के सह-पायलट का शव करीब दो महीने बाद बांध से मिला

By भाषा | Updated: October 17, 2021 20:51 IST2021-10-17T20:51:14+5:302021-10-17T20:51:14+5:30

The body of the co-pilot of the crashed army helicopter was found from the dam after almost two months | सेना के दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर के सह-पायलट का शव करीब दो महीने बाद बांध से मिला

सेना के दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर के सह-पायलट का शव करीब दो महीने बाद बांध से मिला

जम्मू, 17 अक्टूबर जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में अगस्त में हादसे के बाद रणजीत सागर बांध में डूबे सेना के हेलीकॉप्टर के सह-पायलट का शव रविवार को बरामद कर लिया गया। इसके साथ ही दो महीने से जारी तलाशी अभियान पूरा हो गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कैप्टन जयंत जोशी के पार्थिव शरीर को दोपहर करीब दो बजे बरामद किया गया। यह हाल के इतिहास में सबसे लंबा तलाशी अभियान रहा। उनके अवशेष को बाद में पठानकोट सैन्य ठिकाने पर ले जाया गया।

थल सेना के उड्डयन स्क्वॉड्रन के हेलीकॉप्टर रुद्र ने तीन अगस्त को पठानकोट के मामुन सैन्य ठिकाने से उडान भरी थी और कुछ देर बाद ही वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

गहन तलाशी अभियान के बाद हेलीकॉप्टर के पायलट लेफ्टिनेंट कर्नल अभीत सिंह बाथ का शव 15 अगस्त को बांध से बरामद किया गया था।

जम्मू में रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद ने बताया, ‘‘ भारतीय सेना और नौसेना गत 75 दिनों से दिन-रात कैप्टन जोशी का शव तलाशने की कोशिश कर रही थीं और अंतत: सफलता मिली और उनके शव को उच्च प्रौद्योगिकी वाले उपकरणों का इस्तेमाल कर झील के तल से बरामद कर लिया गया है।’’

उन्होंने बताया कि जलाशय के विशाल क्षेत्र और गहराई में बचाव और तलाशी अभियान ‘मल्टीबीम सोनार’ सहित आधुनिक उपकरणों से चलाया गया। झील की तलहटी की जांच के दौरान से संकेत मिले, इसके बाद रिमोट संचालित उपकरण की मदद से पेशेवर गोताखारों ने उस इलाके में तलाशी शुरू की।

प्रवक्ता ने बताया, ‘‘इसी तरह की तलाशी में कैप्टन जोशी का शव 65 से 75 मीटर की गहराई पर होने का पता चला जिसके तुरंत बाद रोबोटिक उपकरण से शव को निकालने का प्रयास किया गया। शव का स्थानीय स्तर पर चिकित्सा परीक्षण करने के बाद आगे की जांच के लिए पठानकोट सैन्य अस्पताल भेजा गया है।’’

उन्होंने कहा कि एक बार फिर भारतीय सशस्त्र बलों ने अपने सैनिकों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया और कैप्टन जोशी का शव निकालने के लिए यथासंभव सभी प्रयास किए जिन्होंने कर्तव्य निर्वहन करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है।

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘इस दुख की घड़ी में भारतीय सेना कैप्टन जोशी के परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है’’

अधिकारियों ने बताया कि सबसे लंबे तलाशी अभियान में देशभर से सेना, नौसना, वायुसेना, ‘एनडीआरएफ’, ‘एसडीआरएफ’, जम्मू-कश्मीर पुलिस, बांध प्राधिकरण और निजी कंपनियों के विशेषज्ञों और उपकरणों को हेलीकॉप्टर का मलबा और शवों का पता लगाने के लिए लगाया गया था।

उन्होंने बताया कि भारी मशीनरी और पनडुब्बी बचाव इकाई को भी इस काम में लगाया गया था जबकि नौसेना और थल सेना के विशेष बलों के गोताखोरों ने मिलकर पूरे अभियान के दौरान काम किया। हालांकि, पानी मटमैला और दृष्यता कम होने से उन्हें चुनौती का सामना करना पड़ा।

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