आपराधिक मामलों को वापस लेने की अर्जी न्याय के हित में दी जाये : न्यायालय

By भाषा | Published: July 29, 2021 01:12 AM2021-07-29T01:12:33+5:302021-07-29T01:12:33+5:30

The application for withdrawal of criminal cases should be given in the interest of justice: Court | आपराधिक मामलों को वापस लेने की अर्जी न्याय के हित में दी जाये : न्यायालय

आपराधिक मामलों को वापस लेने की अर्जी न्याय के हित में दी जाये : न्यायालय

नयी दिल्ली, 28 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अभियोजकों के आपराधिक मामलों को वापस लेने के संदर्भ में सिद्धांतों को निर्धारित करते हुए कहा कि निचली अदालत न्यायिक कार्य करती हैं और यह देखने की आवश्यकता है कि मामले को बंद करने के लिए जो अर्जी दी गई है वह सद्भावना से और न्याय के हित में दी गई है और यह कानून की प्रक्रिया को बाधित करने के लिए नहीं है।

उच्चतम न्यायालय ने 2015 में विधानसभा में हुई अव्यवस्था के सिलसिले में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के छह नेताओं के विरूद्ध मामला वापस लेने की केरल सरकार की अर्जी बुधवार को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

विधानसभा में 13 मार्च, 2015 को अप्रत्याशित हंगामा हुआ था और तब विपक्षी एलडीएफ के सदस्यों ने तत्कालीन वित्त मंत्री के एम मणि को बजट नहीं पेश करने दिया था। मणि बार रिश्वत घोटाले में आरोपों से घिरे थे।

न्यायालय ने कहा कि विशेषाधिकार और उन्मुक्ति आपराधिक कानून से छूट का दावा करने का “रास्ता नहीं” हैं जो हर नागरिक के कृत्य पर लागू होता है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा, “सदस्यों के कृत्य ने संवैधानिक नियमों की सीमा का उल्लंघन किया है और इसलिए यह संविधान के तहत प्रदत्त गारंटीशुदा विशेषाधिकारों के दायरे में नहीं है।”

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ द्वारा लिखे गए 74-पृष्ठ का फैसला आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 321 के तहत अभियोजक की शक्ति से संबंधित है। न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत न्यायिक कार्य करती हैं और यह देखने की आवश्यकता है कि मामले को बंद करने के लिए जो अर्जी दी गई है वह सद्भावना से और न्याय के हित में दी गई है और यह कानून की प्रक्रिया को बाधित करने के लिए नहीं है।

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Web Title: The application for withdrawal of criminal cases should be given in the interest of justice: Court

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