मणिपुर में हिंसा के बाद तनाव बरकरार, लोगों से घरों में रहने की अपील, ड्रोन व चीता हेलीकॉप्टर से रखी जा रही निगरानी

By अनिल शर्मा | Published: May 23, 2023 11:22 AM2023-05-23T11:22:15+5:302023-05-23T11:47:44+5:30

अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को कई जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजन किया गया था, जिसके बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें हुई थीं।

Tension persists after violence in Manipur Meitei-Kuki community are leaving their homes | मणिपुर में हिंसा के बाद तनाव बरकरार, लोगों से घरों में रहने की अपील, ड्रोन व चीता हेलीकॉप्टर से रखी जा रही निगरानी

तस्वीरः सोशल मीडिया

Highlightsराज्य सरकार ने सुरक्षाकर्मियों की 20 से अधिक टुकड़ियों को बुलाने का भी फैसला किया है।राज्य में वर्तमान में सेना और असम राइफल्स के करीब 10,000 जवान तैनात हैं। सुरक्षा बल ड्रोन और चीता हेलीकॉप्टर की मदद से हवाई निगरानी कर रहे हैं। 

इंफालः मणिपुर में सोमवार को भड़की हिंसा की वजह से इंफाल के पूर्व जिले में तनाव बरकरार है। यहां के न्यू चेकोन इलाके में व्यावसायिक प्रतिष्ठान मंगलवार सुबह बंद रहे और सुरक्षाकर्मियों ने लोगों से घरों में ही रहने की अपील की। इस जिले में एक पूर्व विधायक समेत हथियारबंद चार लोगों ने सोमवार को लोगों को अपनी दुकानें बंद करने के लिए बाध्य किया, जिसके बाद एक बार फिर हिंसा भड़क उठी थी।

मणिपुर में अब तक हुई जातीय हिंसा में 73 लोगों की जान चली गई है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। 3.6 मिलियन लोगों के छोटे से राज्य में फिर से पलायन शुरू हो गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बड़ी संख्या में कुकी जनजाति के लोग घाटी क्षेत्रों में अपना घर छोड़ रहे हैं, जबकि मेतैई समुदाय के सदस्य पहाड़ियों को छोड़ रहे हैं।

मणिपुर इंटेग्रिटी पर समन्वय समिति (COCOMI) के अनुसार, 3 मई को हिंसा भड़कने के बाद से 7472 मैतेई पहाड़ी जिलों से इंफाल घाटी में चले गए हैं, जबकि 5200 कुकियों ने इंफाल और आसपास के इलाकों को छोड़ दिया है। 

पुलिस ने बताया कि इंफाल पूर्व जिले में फुखाओ और लेइतानपोकपी समेत कुछ जगहों पर लाइसेंसी बंदूकों से लैस स्थानीय लोग अस्थायी ‘बंकर’ बनाकर किसी भी संभावित हमले के खिलाफ अपने इलाकों की रक्षा करते हुए पाए गए। सोमवार को इंफाल पश्चिम में सिनम खैतोंग गांव में सुरक्षाबलों ने ऐसे पांच ‘बंकर’ नष्ट कर दिए।

घाटी में स्थित जिलों में धरना प्रदर्शन किए गए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हुईं। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि कुकी उग्रवादियों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) रद्द किया जाए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने ‘म्यांमा के अवैध आव्रजकों’ को उनके देश भेजने और पर्वतीय क्षेत्रों में अफीम की खेती बंद करने की भी मांग की।

राज्य सरकार ने सुरक्षाकर्मियों की 20 से अधिक टुकड़ियों को बुलाने का भी फैसला किया है। राज्य में वर्तमान में सेना और असम राइफल्स के करीब 10,000 जवान तैनात हैं। सुरक्षा बल ड्रोन और चीता हेलीकॉप्टर की मदद से हवाई निगरानी कर रहे हैं। 

मणिपुर में हिंसा शुरू होने के बाद से इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। आरोप है कि राज्य के बाहर रहने वाले मेइती और कुकी समुदाय के लोग अपने-अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये नफरत फैला रहे हैं। मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने सोमवार को कहा कि हमें स्थिति सामान्य करने और शांति बहाल करने के लिए एक साथ बैठकर बातचीत करने की जरूरत है। 

गौरतलब है कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को कई जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजन किया गया था, जिसके बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें हुई थीं।

Web Title: Tension persists after violence in Manipur Meitei-Kuki community are leaving their homes

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