लोनार झील का पानी हुआ गुलाबी, पड़ताल करेंगे वैज्ञानिक, आस-पास लोग हैरान

By भाषा | Published: June 13, 2020 12:13 PM2020-06-13T12:13:32+5:302020-06-13T12:13:32+5:30

अण्डाकार आकार की लोनार झील करीब 50,000 साल पहले पृथ्वी से एक उल्कापिंड के टकराने से बनी थी।

Team of Scientists to Examine Why Lonar Lake Water Turned Pink Overnight | लोनार झील का पानी हुआ गुलाबी, पड़ताल करेंगे वैज्ञानिक, आस-पास लोग हैरान

बुलढाणा जिले में स्थित लोनार झील का रहस्य जानने में दुनियाभर के कई वैज्ञानिक आ चुके हैं।

Highlightsकई विशेषज्ञों ने झील के पानी में लवणता और शैवाल को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।यह पहली बार नहीं है जब पानी का रंग बदला है। हालांकि इस बार यह ज्यादा गाढ़े रंग का है। एक ब्रिटिश अधिकारी सी जे ई अलेक्जेंडर ने 1823 में एक विशिष्ट भौगोलिक स्थान के तौर पर लोनार झील की खोज की थी।

नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) के वैज्ञानिकों का एक दल अगले हफ्ते महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में लोनार झील का दौरा करेगा और यह पता लगाने के लिए पानी के नमूने लेगा कि इस झील का पानी गुलाबी रंग का कैसे हो गया। यह मशहूर पर्यटक स्थल है और दुनियाभर के वैज्ञानिक भी यहां आते हैं। हाल में इस झील के पानी का रंग गुलाबी हो गया है, जिससे न केवल स्थानीय लोग चकित हैं, बल्कि प्रकृति प्रेमी और वैज्ञानिक भी हैरानी में पड़ गए हैं।

बुलढाणा की जिलाधिकारी सुमन चंद्रा ने कहा, ‘‘लोनार झील वन विभाग के क्षेत्राधिकार के तहत आती है क्योंकि इसे एक अभयारण्य घोषित किया गया है। विभाग ने नीरी को पानी के नमूने भेजे हैं। फिर भी संस्थान अध्ययन के लिए नमूने एकत्रित करने के वास्ते 15 जून को घटनास्थल पर वैज्ञानिकों का एक दल भेजेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह रंग में आए इस बदलाव के पीछे की सटीक वजह का पता लगाने के लिए पानी की जांच करेंगे।

यह झील अधिसूचित राष्ट्रीय भौगोलिक धरोहर स्मारक है। इसका पानी खारा है और इसका पीएच स्तर 10.5 है। उन्होंने कहा, ‘‘जलाशय में शैवाल है। पानी के रंग बदलने की वजह लवणता और शैवाल हो सकते हैं।’’ लोनार झील संरक्षण एवं विकास समिति के सदस्य गजानन खराट ने बताया, ‘‘पानी की सतह से एक मीटर नीचे ऑक्सीजन नहीं है। ईरान की एक झील का पानी भी लवणता के कारण लाल रंग का हो गया था।’’

उन्होंने बताया कि लोनार झील में जल का स्तर अभी कम है क्योंकि बारिश नहीं होने से इसमें ताजा पानी नहीं भरा है। जलस्तर कम होने के कारण खारापन बढ़ा होगा और शैवाल की प्रकृति भी बदली होगी। औरंगाबाद के डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के प्रमुख डॉ. मदन सूर्यवंशी ने कहा कि जिस बड़े पैमाने पर पानी का रंग बदला है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इसमें मानवीय दखल का मामला नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘पानी में मौसम के मुताबिक बदलाव आता है और लोनार झील में भी मामला यही हो सकता है। अगर हम एक हफ्ते में वहां जा सकते हैं तो बदलाव की जांच कर पाएंगे। तभी इसके बारे में कुछ और बता सकेंगे।’’

Web Title: Team of Scientists to Examine Why Lonar Lake Water Turned Pink Overnight

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