तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी, न्यायिक हिरासत वैध है: मद्रास उच्च न्यायालय

By भाषा | Published: July 14, 2023 09:15 PM2023-07-14T21:15:18+5:302023-07-14T21:17:08+5:30

मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी से संबंधित याचिका पर खंडपीठ के खंडित फैसले के बाद मामले की सुनवाई करने वाले तीसरे न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी. वी. कार्तिकेयन ने गिरफ्तारी और न्यायिक हिरासत को वैध ठहराया है।

Tamil Nadu Minister Senthil Balaji's arrest, judicial custody is valid Madras High Court | तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी, न्यायिक हिरासत वैध है: मद्रास उच्च न्यायालय

तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी (फाइल फोटो)

Highlightsवी. सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी वैध- मद्रास उच्च न्यायालयन्यायमूर्ति सी. वी. कार्तिकेयन ने गिरफ्तारी और न्यायिक हिरासत को वैध ठहरायान्यायमूर्ति सी. वी. कार्तिकेयन ने माना आरोपी को जांच को पटरी से उतारने का कोई अधिकार नहीं

चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने धनशोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी और इसके बाद एक सत्र अदालत की ओर से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजे जाने को शुक्रवार को वैध ठहराया। मंत्री की गिरफ्तारी से संबंधित याचिका पर खंडपीठ के खंडित फैसले के बाद मामले की सुनवाई करने वाले तीसरे न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी. वी. कार्तिकेयन ने गिरफ्तारी और न्यायिक हिरासत को वैध ठहराया है। 

तीसरे न्यायाधीश ने माना कि आरोपी को जांच को पटरी से उतारने का कोई अधिकार नहीं है। जब उन्हें गिरफ्तारी का कारण बताया गया तो उन्होंने इसे मानने से इनकार कर दिया और कहा कि बाद में बेगुनाही का दावा स्वीकार नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति कार्तिकेयन ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि मामले को मुख्य न्यायाधीश एस. वी. गंगापुरवाला के समक्ष रखा जाये ताकि इसे उसी खंडपीठ के समक्ष भेजा जा सके और वह तारीख निर्धारित की जा सके जिस दिन ईडी सेंथिल बालाजी को हिरासत में ले सके और उन्हें अस्पताल से स्थानांतरित कर सके।

सेंथिल बालाजी की पत्नी मेगाला ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि उनके पति ईडी की अवैध हिरासत में है और उन्होंने अनुरोध किया कि अधिकारियों को उन्हें अदालत में पेश करने और उन्हें रिहा करने का निर्देश दिया जाये। न्यायमूर्ति निशा बानू और न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने मेगाला द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (एचसीपी) पर खंडित फैसला सुनाया था। न्यायमूर्ति निशा बानू ने माना था कि ईडी के पास हिरासत मांगने का कोई अधिकार नहीं है और कहा था कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका विचारणीय है। न्यायमूर्ति भरत चक्रवर्ती इससे सहमत नहीं थे। न्यायमूर्ति कार्तिकेयन ने अपने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता के अनुसार उसने 2.40 लाख रुपये (राज्य संचालित परिवहन निगम में नौकरी हासिल करने के संबंध में) दिये थे।

आदेश में कहा गया है कि यह रिश्वतखोरी का अपराध था जिसके लिए एक प्राथमिकी दर्ज की गई और इसके बाद ईडी ने प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट दर्ज की थी। ईडी ने पिछले महीने राज्य के परिवहन विभाग में हुए ‘नौकरी के बदले नकदी’ घोटाले के सिलसिले में सेंथिल बालाजी को गिरफ्तार किया था और वह अब भी बिना विभाग के मंत्री बने हुए हैं। न्यायमूर्ति कार्तिकेयन ने कहा कि पैसा कब दिया गया, ‘‘इसका कहां इस्तेमाल किया गया और इसे कानूनी रूप से कैसे परिवर्तित किया गया’’ से संबंधित सवालों की विस्तृत जांच की आवश्यकता है। न्यायाधीश ने मौजूदा मामले में कहा कि जिस दिन सत्र न्यायाधीश ने उन्हें हिरासत में भेजा था, उस दिन सेंथिल बालाजी की चिकित्सा स्थिति खराब थी। न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह ईडी उन्हें प्रभावी ढंग से हिरासत में नहीं ले सकी थी। न्यायाधीश ने कहा कि इसलिए, अस्पताल में भर्ती होने की अवधि को हिरासत अवधि से बाहर रखा जाना चाहिए। 

Web Title: Tamil Nadu Minister Senthil Balaji's arrest, judicial custody is valid Madras High Court

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