"एक देश-एक चुनाव के लिए संवैधानिक बदलाव की जरूरत", पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: September 5, 2023 11:25 AM2023-09-05T11:25:42+5:302023-09-05T11:32:35+5:30

देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने 'एक देश-एक चुनाव' के मुद्दे पर कहा कि कोविंद समिति से पहले विधि आयोग, नीति आयोग और संसद की स्थायी समिति ने भी इस पर विचार किया था। लेकिन तीनों समितियां कोई भी ठोस समाधान पेश करने में विफल रही थीं।

SY Qureshi said, "Constitutional change is needed for one country, one election" | "एक देश-एक चुनाव के लिए संवैधानिक बदलाव की जरूरत", पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा

फाइल फोटो

Highlightsदेश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने 'एक देश-एक चुनाव' के मुद्दे पर रखी अपनी रायकोविंद समिति से पहले विधि आयोग, नीति आयोग और संसद की स्थायी समिति भी विचार कर चुकी हैलेकिन विधि आयोग, नीति आयोग और संसद की स्थायी समिति कोई ठोस समाधान नहीं पेश कर सकी

नई दिल्ली: देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) एसवाई कुरैशी ने केंद्र सरकार द्वारा 'एक देश-एक चुनाव' के मुद्दे पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई समिति पर कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए बनाई गई उच्च समिति को व्यापक विचार-विमर्श से गुजरना होगा।

समाचार वेबसाइट द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को दिये इंटरव्यू में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि एक राष्ट्र-एक चुनाव के मुद्दे पर इस उच्चस्तरीय समिति से पहले भी तीन समितियों, जिसमें विधि आयोग, नीति आयोग और संसद की स्थायी समिति ने भी विचार किया है। हालांकि, पूर्व की तीनों समितियां इस दिशा में कोई भी ठोस समाधान पेश करने में विफल रही थीं। इस समिति को भी इस विषय में आम सहमति हासिल करना होगा। इसमें राजनीतिक दलों सहित अन्य हितधारकों के साथ बातचीत करनी होगी। कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञों के साथ व्यापक परामर्श करना होगा। उसके बाद ही समिति किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में सक्षम होगी।

पूर्व सीईसी ने एक राष्ट्र-एक चुनाव के विचार के समक्ष खड़ी चुनौतियों पर बात करते हुए कहा कि मान लीजिए कि सभी राज्यों और लोकसभा में एक साथ चुनाव संपन्न हो जाते हैं। लेकिन हम किसी राज्य सरकार को समय से पहले गिरने से कैसे रोकेंगे और अगर कोई सरकार 6 महीने के भीतर ही गिर जाती है तो फिर उस राज्य को अगले साढ़े चार साल तक राष्ट्रपति शासन के अधीन कैसे रखेंगे?

उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र-एक चुनाव को लागू करने से पहले कई समस्याओं का समाधान करना होगा और वो सभी राजनीतिक दलों के साथ-साथ अन्य हितधारकों को स्वीकार्य होने चाहिए। इसके अलावा भी कह मत्वपूर्ण मुद्दे हैं, मसलन त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव का मसला, दलबदल, या इस तरह के कई अन्य मसले हैं, जिनका हल निकालना होगा।

पूर्व सीईसी ने कहा कि राष्ट्र-एक चुनाव को लेकर हम पिछले 10 वर्षों से प्रस्ताव की चुनौतियों पर चर्चा कर रहे हैं। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में पूरे देश में एक साथ चुनाव का विचार रखा तो उन्होंने कहा कि इस पर राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए।

इसके अलावा संविधान कई विशेषज्ञों का मानना है कि एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए सबसे बड़ी चुनौती संविधान में संशोधन का है। विशेषज्ञों के मुताबिक इसके लिए कम से कम पांच अनुच्छेद 83, 85, 172, 174 और 356 में संशोधन करना होगा और एक साथ चुनाव की सुविधा के लिए कुछ विधायी परिवर्तन लाने होंगे।

उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अगुवाई में बनी उच्च-स्तरीय समिति को इस बात की भी जांच करनी होगी कि क्या एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए किये जाने वाले संभावित संवैधानिक संशोधनों को राज्य विधानसभाओं द्वारा भी अनुमोदित कराना होगा क्योंकि विधि आयोग की रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया था कि इसे लागू करने के लिए किये गये संवैधानिक संशोधनों के लिए कम से कम 50 फीसदी राज्यों द्वारा भी पुष्टि की जानी चाहिए।

एसवाई कुरैशी ने कहा कि अगर ऐसा होगा तो राज्यों को अपनी विधानसभाओं में संवैधानक संशोधन को पारित करना होगा और उस सूरत में संवैधानिक संशोधन तभी किया जा सकता है, जब 50 फीसदी राज्य संशोधनों की पुष्टि करने के लिए इच्छुक हों।

Web Title: SY Qureshi said, "Constitutional change is needed for one country, one election"

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