टूलकिट मामले की संदिग्ध आरोपी निकिता जैकब को ट्रांजिट अग्रिम जमानत मिली

By भाषा | Updated: February 17, 2021 15:08 IST2021-02-17T15:08:08+5:302021-02-17T15:08:08+5:30

Suspected accused of toolkit case Nikita Jacob gets transit anticipatory bail | टूलकिट मामले की संदिग्ध आरोपी निकिता जैकब को ट्रांजिट अग्रिम जमानत मिली

टूलकिट मामले की संदिग्ध आरोपी निकिता जैकब को ट्रांजिट अग्रिम जमानत मिली

मुंबई, 17 फरवरी बंबई उच्च न्यायालय ने किसानों के प्रदर्शन से जुड़े 'टूलकिट' मामले की एक संदिग्ध आरोपी एवं वकील निकिता जैकब को बुधवार को ‘ट्रांजिट अग्रिम जमानत’ दे दी।

यह मामला जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा साझा किए गए ‘टूलकिट’ से संबद्ध है।

न्यायमूर्ति पी डी नाइक ने जैकब को राहत पाने के लिए दिल्ली में संबद्ध अदालत का रुख करने के वास्ते तीन हफ्ते का समय दिया है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि वह (जैकब) मुंबई की स्थायी निवासी हैं और प्राथमिकी दिल्ली में दर्ज की गई है तथा उनके द्वारा मांगी गई राहत सिर्फ अस्थायी है।

न्यायमूर्ति नाइक ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता (जैकब) को इस बात की आशंका है कि उन्हें किसी भी समय गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसलिए, उन्हें राहत पाने के लिए दूसरे राज्य में अदालत का रुख करना पड़ा। ऐसे में, इस अदालत का यह विचार है कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगा गया संरक्षण अस्थायी अवधि के लिए दिया जा सकता है।’’

अदालत ने कहा कि चूंकि जैकब अग्रिम जमानत के लिए दिल्ली में संबद्ध अदालत जाएंगी, इसलिए इस अदालत के लिए यह उपयुक्त नहीं है कि वह मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी करे।

न्यायमूर्ति नाइक ने कहा, ‘‘ याचिकाकर्ता को तीन सप्ताह के लिए ट्रांजिट अग्रिम जमानत दी जाती है, ताकि वह दिल्ली में संबद्ध अदालत जा सकें।’’

अदालत ने कहा कि अगर जैकब को इस तीन सप्ताह की अवधि के अंदर गिरफ्तार किया जाता है, तो उन्हें 25,000 रुपये का मुचलका भरने के बाद रिहा कर दिया जाए।

न्यायमूर्ति नाइक ने यह भी उल्लेख किया कि मामले के एक अन्य संदिग्ध शांतनु मुलुक को उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ ने मंगलवार को 10 दिन के लिए ट्रांजिट अग्रिम जमानत दी है।

पर्यावरण कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले जैकेब और मुलुक ने दिल्ली की एक अदालत द्वारा उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए जाने के बाद अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था।

दिल्ली पुलिस के अनुसार, ये दोनों एक अन्य आरोपी दिशा रवि के साथ ‘टूलकिट’ दस्तावेज तैयार करने में शामिल थे और "खालिस्तान समर्थक तत्वों" के सीधे संपर्क में थे।

गौरतलब है कि ‘टूलकिट’ ऐसा दस्तावेज होता है, जिसमें किसी मुद्दे की जानकारी देने के लिए और उससे जुड़े कदम उठाने के लिए विस्तृत सुझाव दिये होते हैं। आमतौर पर किसी बड़े अभियान या आंदोलन के दौरान उसमें हिस्सा लेने वाले लोगों को इसमें दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। इसका उद्देश्य खास वर्ग या लक्षित समूह को जमीनी स्तर पर गतिविधियों के लिए दिशानिर्देश देना होता है।

मामले में दिशा रवि को भी गिरफ्तार किया जा चुका है।

दिल्ली पुलिस ने सोमवार को आरोप लगाया कि रवि ने जैकब और शांतनु के साथ मिलकर टूलकिट बनाया और भारत की छवि धूमिल करने के लिए इसे अन्य लोगों के साथ साझा किया।

आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं--124 (ए) (राजद्रोह), 153 (ए) (विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देना) और 120 (बी) (आपराधिक साजिश रचना)-- के तहत मामला दर्ज किया गया है।

अदालत में जैकब की याचिका का दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ ने विरोध किया।

दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश होते हुए अधिवक्ता हितेन वेनेगावकर ने मंगलवार को दलील दी कि चूंकि प्राथमिकी दूसरे राज्य में दर्ज है, इसलिए जैकब को कोई राहत देना इस अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस की टीम ने 11 फरवरी को जैकब के घर की तलाशी ली थी, तब उसने जैकब से कहा था कि वह (दिल्ली पुलिस की टीम) आगे की पूछताछ के लिए अगले दिन फिर आएंगी।"

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, तब से जैकब फरार रहीं। इस वजह से, दिल्ली की अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किया।’’

वहीं, जैकब की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील मिहिर देसाई ने दलील दी कि किसानों के समर्थन में कई लोगों ने टूलकिट तैयार किया और उसमें हिंसा या लाल किले की घटना का कोई जिक्र नहीं था।

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Web Title: Suspected accused of toolkit case Nikita Jacob gets transit anticipatory bail

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