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अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसी भी तरह से ‘पूर्ण न्याय’ नहीं, सबसे अधूरा या सबसे खराब पूर्ण अन्यायः ओवैसी

By भाषा | Updated: November 19, 2019 18:41 IST

संविधान के अनुच्छेद 142 में उच्चतम न्यायालय को एक विशेष शक्ति प्रदान की गई है, जिसके तहत वह अपने पास लंबित किसी मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल कर सकता है और जरूरी आदेश दे सकता है।

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ठळक मुद्देअनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का इस्तेमाल करने की आवश्यकता होती है। ओवैसी अयोध्या फैसले पर मीडिया रिपोर्टों का जवाब दे रहे थे।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को दावा किया कि बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला किसी भी तरह से ‘‘पूर्ण न्याय’’ नहीं है, जिसके लिए अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का इस्तेमाल करने की आवश्यकता होती है।

संविधान के अनुच्छेद 142 में उच्चतम न्यायालय को एक विशेष शक्ति प्रदान की गई है, जिसके तहत वह अपने पास लंबित किसी मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल कर सकता है और जरूरी आदेश दे सकता है।

ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘‘बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि जमीन विवाद मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला किसी भी तरह से पूर्ण न्याय नहीं है, जिसके लिए अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का इस्तेमाल किये जाने की जरूरत होती है। यह सबसे अधूरा न्याय या सबसे खराब पूर्ण अन्याय है।’’

ओवैसी अयोध्या फैसले पर मीडिया रिपोर्टों का जवाब दे रहे थे। गौरतलब है कि गत नौ नवम्बर को उच्चतम न्यायालय ने सर्वसम्मति के फैसले में 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन राम लला को सौंपने के निर्देश दिये थे। उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र को निर्देश दिया था कि मस्जिद निर्माण के लिये सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किया जाए।

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