सुप्रीम कोर्ट ने शुभेंदु अधिकारी से ममता बनर्जी की याचिका के संबंध में कहा, 'हम आपको मनचाहे हाईकोर्ट में केस की सुनवाई की अनुमति नहीं दे सकते हैं' जानिए क्या है मामला
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: September 2, 2022 22:12 IST2022-09-02T22:06:35+5:302022-09-02T22:12:53+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने शुभेंदु अधिकारी द्वारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चुनाव याचिका को कलकत्ता हाईकोर्ट से ट्रांसफर किये जाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आपको अदालत पर भरोसा होना चाहिए, आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि कलकत्ता हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई सही तरीके से नहीं होगी तो यह न्याय व्यवस्था का अपमान होगा।

फाइल फोटो
दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल भाजपा के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चुनाव याचिका को कलकत्ता हाईकोर्ट से ट्रांसफर किये जाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हम अपने मनपसंद हाईकोर्ट में केस को ट्रांसफर किये जाने की मांग से सहमत नहीं हैं। आपके द्वारा केस के स्थानांतण वाली याचिका को हम विचार करने योग्य नहीं मानते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए कहा कि आपको अदालत पर भरोसा होना चाहिए, आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि कलकत्ता हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई सही तरीके से नहीं होगी। अगर आप इस मामले को संदेह की दृष्टि से देखते हैं तो इसका मतलब है कि आप पूरी न्याय व्यवस्था को शक की निगाह से देख रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट की इस कड़ी टिप्पणी के बाद शुभेंदु अधिकारी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से खेद जताते हुए याचिका को वापस ले लिया। शुभेंदु की याचिका मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा नंदीग्राम सीट से उनके निर्वाचन को खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में दायर की याचिका के खिलाफ में थी।
बंगाल में नेता विपक्ष की भूमिका निभा रहे अधिकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की याचिका को कलकत्ता हाईकोर्ट से किसी अन्य हाईकोर्ट में ट्रांसफर करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंचे थे। दरअसल पिछले साल हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में शुभेंदु अधिकारी ने नंदीग्राम सीट से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हरा दिया था। इसके बाद ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट से शुभेंदु की जीत को चुनौती देते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है।
सुप्रीम कोर्ट में शुभेंदु की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने उनके वकील हरीश साल्वे से कहा, "कानूनी तौर पर याचिका के सुनवाई का अधिकार क्षेत्र कलकत्ता हाईकोर्ट के दायरे में आता है। उन्हें ही इस मामले की सुनवाई करने दीजिए। हम केवल आपकी पसंद और नापंसद के आधार पर मामले की सुनवाई के लिए किसी दूसरे हाईकोर्ट के चयन का विकल्प नहीं दे सकते हैं।"
जस्टिस डीवाई चंद्रूचूड़ ने कहा, "अगर हम आपकी याचिका पर सुनवाई करते हुए केस को कलकत्ता हाईकोर्ट से बाहर किसी अन्य कोर्ट में ट्रांसफर करते हैं तो इससे हाईकोर्ट में हमारे विश्वास की कमी का संदेश जाएगा और हम जनता के बीच इस तरह का कोई संदेश नहीं पहुंचाना चाहते हैं कि हमारा हाईकोर्ट पर भरोसा नहीं है।"
इसके साथ ही उन्होंने कहा, "अगर आपके पास याचिका को किसी अन्य हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए कोई वाजिब तर्क है तो उसे पेश करें, यूं कि आप इच्छा करें और हम आदेश जारी करें, ऐसा नहीं हो सकता है। मामले की सुनवाई कलकत्ता हाईकोर्ट ही करेगा।"
कोर्ट के सामने शुभेंदु अधिकारी के वकील हरीश साल्वे ने कहा, "अगर कोई जज किसी के पक्ष में फैसला नहीं सुनाता है तो सबके लिए परेशानी भरा माहौल खड़ा हो जाता है।" जिस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा, "अब हम इस मामले में कुछ नहीं देखेंगे। कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू होने दीजिए, अगर गवाह वहां सहज नहीं रहते तो फिर आप इस ओर अदालत का ध्यान दिलाइयेगा।"
सुप्रीम कोर्ट के बेंच द्वारा दिये गये इस सुझाव को स्वीकार करते हुए शुभेंदु अधिकारी के वकील हरीश साल्वे ने अपनी याचिका को वापस ले ली। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)