पीएमसी बैंक में जमा राशियों की हिफाजत को लेकर याचिका पर उच्चतम न्यायालय में होगी सुनवाई
By भाषा | Published: October 17, 2019 05:48 AM2019-10-17T05:48:51+5:302019-10-17T05:48:51+5:30
उच्चतम न्यायालय ने याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने पर सहमति जताई है। पिछले दिनों कम से कम तीन मौतें हुई हैं जिनका जुड़ाव पीएमसी बैंक से बताया गया है। इसी घटनाक्रम को देखते हुये उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई है।
संकट से घिरे पंजाब एण्ड महाराष्ट्र को-आपरेटिव (पीएमसी) बैंक के खाताधारकों का विरोध प्रदर्शन तेज होने के बीच बैंक से संबंधित एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को सुनवाई करने पर राजी हो गया है। यह याचिका पीएमसी बैंक में पड़ी खाताधारकों की जमाराशि की सुरक्षा के वास्ते तुरंत अंतरिम उपाय किये जाने के बारे में निर्देश देने को लेकर दायर की गई है।
उच्चतम न्यायालय ने याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने पर सहमति जताई है। पिछले दिनों कम से कम तीन मौतें हुई हैं जिनका जुड़ाव पीएमसी बैंक से बताया गया है। इसी घटनाक्रम को देखते हुये उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई है।
उधर पीएमसी बैंक के प्रशासक ने रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास सहित शीर्ष पदाधिकारियों से मुलाकात की है और बैंक के खाताधारकों को आश्वासन दिया है कि उनके हितों की सुरक्षा के लिये हरसंभव प्रयास किये जायेंगे। पीएमसी बैंक में 4,355 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद रिजर्व बैंक ने बैंक पर लेनदेन संबंधी कई तरह के प्रतिबंध लगा दिये।
खाताधारकों के लिये बैंक खाते से छह महीने में नकदी निकासी सीमा 40,000 रुपये तय कर दी गई है। इससे पहले यह राशि काफी कम रखी गई थी। इस बीच मुंबई की एक अदालत ने बैंक घोटाले के संदर्भ में एचडीआईएल के अधिकारियों और पीएमसी बैंक के पूर्व चेयरमैन को 23 अक्टूबर तक के लिये न्यायिक हिरासत में ले लिया।
अदालत के बाहर बैंक के कई खाताधारकों ने विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि उनका धन तुरंत लौटाया जाना चाहिये। दिल्ली में भी रिजर्व बैंक कार्यालय के बाहर जमाकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। हाउसिंग डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक राकेश वाधवन, उनके पुत्र सारंग वाधवान और पीएमसी बैंक के पूर्व चेयरमैन वारयम सिंह को महानगर दंडाधिकारी एस जी शेख के समक्ष पेश किया गया।
इन तीनों की हिरासत अवधि बुधवार को समाप्त हो रही थी। बैंक के 9,000 करोड़ रुपये के कुल कर्ज में कथित तौर पर 70 प्रतिशत कर्ज अकेले एचडीआईएल को ही दिया गया था। यह कर्ज एनपीए बन गया था लेकिन आरोप है कि बैंक प्रबंधन ने इसे आरबीआई की जांच पड़ताल से छुपाकर रखा।
उच्चतम न्यायालय ने पीएमसी बैंक से संबंधित याचिका को तुरंत सुनवाई के लिये न्यायमूर्ति एन.वी. रमन्ना, आर सुभाष रेड्डी और बी. आर. गवई की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा याचिका पर तुरंत सुनवाई का आग्रह किये जाने के बाद रजिस्ट्री को मामले को उचित पीठ के समक्ष शुक्रवार 18 अक्टूबर 2019 को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया।
दिल्ली स्थित बिजोन कुमार मिश्रा ने यह याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक को यह निर्देश दिया जाना चाहिये कि राष्ट्रीयकृत बैंकों सहित विभिन्न सहकारी बैंकों में रखी खाताधारकों की खून पसीने की कमाई की पूरी तरह से सुरक्षा और बीमा होना चाहिये। इसके लिये बैंकों में जमा राशि की शत प्रतिशत सुरक्षा के लिये उचित उपाय और बीमा कवरेज सुनश्चित किया जाना चाहिये।
याचिका में जमा राशि की निकासी की सीमा तय किये जाने संबंधी रिजर्व बैंक की अधिसूचना को भी निरस्त करने का आग्रह किया गया है। उधर, मुंबई में जे बी भोरिया ने रिजर्व बेंक के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात के बाद एक वक्तव्य जारी किया। जे बी भोरिया को रिजर्व बैंक ने पीएमसी बैंक का प्रशासक नियुक्त किया है।
इसमें कहा गया है कि बैंक सभी जमाकर्ताओं और दूसरे संबंधित पक्षों के हितों की सुरक्षा के लिये सभी प्रयास करेगा। इसमें यह भी कहा गया है कि बैंक अपनी बैलेंस सीट को नये सिरे से तैयार करने में लगा है ताकि उसकी सही और उचित तस्वीर सबके समक्ष रखी जा सके।