सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के गृह सचिव को किया तलब, 'नाबालिग’ मुस्लिम लड़की की याचिका का जवाब देने में रहे विफल
By भाषा | Published: September 19, 2019 02:58 PM2019-09-19T14:58:19+5:302019-09-19T14:58:19+5:30
इस मुस्लिम लड़की ने अयोध्या में एक युवक से निकाह कर लिया था। लेकिन अयोध्या की एक अदालत ने उसके विवाह को अमान्य करार देते हुये युवती को नारी निकेतन भेज दिया। लड़की ने निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
उच्चतम न्यायालय ने ‘नाबालिग’ मुस्लिम लड़की की याचिका का जवाब देने में विफल रहने पर बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश सरकार के गृह सचिव को तलब किया। इस लड़की ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है जिसमे उसके निकाह को अमान्य करार दे दिया गया है।
उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली लड़की का तर्क है कि वह 16 साल की है और मुस्लिम लॉ के तहत महिला के रजस्वला हो जाने की स्थिति (जो 15 साल की आयु है) प्राप्त करने के बाद वह अपनी जिंदगी के बारे में निर्णय लेने और अपनी मर्जी से किसी के भी साथ शादी करने में सक्षम है।
न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ के समक्ष बृहस्पतिवार को जब यह मामला सुनवाई के लिये आया तो राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने जवाब दाखिल करने के लिये समय देने का अनुरोध किया। पीठ ने तल्खी के साथ टिप्पणी की, ‘‘मुख्य सचिव को (न्यायालय में) पेश होने दीजिये। तभी वह मामले की गंभीरता समझेंगे।’’ पीठ ने बाद में, उप्र सरकार के गृह सचिव को समन किया और उन्हे 23 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार के वकील को इस याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिये समय दिये जाने के बावजूद उसे संबंधित विभाग से उचित निर्देश नहीं मिले हैं। पीठ ने कहा, ‘‘हम गृह सचिव (उत्तर प्रदेश के) को व्यक्तिगत रूप से सोमवार को (23 सितंबर) को तलब करने के लिये बाध्य हैं।’’
इस मुस्लिम लड़की ने अयोध्या में एक युवक से निकाह कर लिया था। लेकिन अयोध्या की एक अदालत ने उसके विवाह को अमान्य करार देते हुये युवती को नारी निकेतन भेज दिया। लड़की ने निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। लेकिन उच्च न्यायालय ने नाबालिग लड़की को नारी निकेतन भेजने के आदेश को सही ठहराते हुये उसकी अपील खारिज कर दी थी। इसके बाद, इस लड़की ने उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की।