सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के स्कूल में मुस्लिम लड़के को थप्पड़ मारने के विवाद में योगी सरकार को लगाई लताड़, कोर्ट ने कहा, "यूपी सरकार कोर्ट के आदेश को अनदेखा कर रही है"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: February 9, 2024 02:16 PM2024-02-09T14:16:51+5:302024-02-09T14:20:22+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बेहद कड़ी फटकार लगाई है क्योंकि उस मुस्लिम छात्र की काउंसलिंग नहीं कराई, जिसे स्कूल की शिक्षिका द्वारा प्रताड़ित किया गया था।
नयी दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बेहद कड़ी फटकार लगाई है क्योंकि उस मुस्लिम छात्र की काउंसलिंग नहीं कराई, जिसे होमवर्क न पूरा करने के लिए टीचर द्वारा धार्मिक टिप्पणी करते हुए प्रताड़ित किया गया था। देश की सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार के प्रति बेहद प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए कहा कि वह कोर्ट के द्वारा जारी किये गये दिशा-निर्देंशों का पालन नहीं कर रही है।
उत्तर प्रदेश का यह बेहद विवादित मामला मुज़फ़्फ़रनगर जिले का है, जहां स्कूल टीचर ने कथित तौर पर होमवर्क नहीं करने पर क्लास के अन्य छात्रों से एक मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारने के कहा गया था और धार्मिक टिप्पणी करके उसे मानसिक रूप से आघात पहुंचाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने हमारे द्वारा दिये निर्देशों का पूर्ण उल्लंघन किया गया है। हमने टीआईएसएस की नई रिपोर्ट को देखा है, जिसमें पीड़ित छात्र और टीचर के निर्देश पर उसे थप्पड़ मारने वाले गवाह छात्रों की काउंसलिंग की बात कही गई है। लेकिन अफसोस है कि राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में कुछ भी नहीं किया गया है और अब बहुत देर हो चुकी है।
उत्तर प्रदेश सरकार के बर्ताव के प्रति गहरी नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले को 1 मार्च को सुनवाई के लिए पोस्ट करते हुए कहा, "हम राज्य को निर्देश देते हैं कि वह विशेष रूप से गवाह बच्चों के लिए दिये निर्देशों को तुरंत लागू करें और कोर्ट का अनुपालन हलफनामा दो सप्ताह में दायर किया जाए।"
मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कोर्ट ते समक्ष पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कहा कि दो संगठनों ने छात्रों की काउंसलिंग के लिए स्वेच्छा से काम किया है और अधिक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए सरकार को और समय चाहिए।
मालूम हो कि अदालत ने पहले भी राज्य सरकार को उस मुस्लिम लड़के और उसके सहपाठियों की काउंसलिंग के लिए एक एजेंसी नियुक्त करने के अपने आदेश का पालन नहीं करने के लिए फटकार लगाई थी।
शीर्ष अदालत ने पीड़ित लड़के और उसके सहपाठियों को परामर्श देने के तरीके के बारे में सुझाव देने के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस), मुंबई को नियुक्त किया था।
मुजफ्फरनगर पुलिस ने मुस्लिम लड़के के खिलाफ कथित तौर पर सांप्रदायिक टिप्पणी करने और उसके सहपाठियों को उसे थप्पड़ मारने का निर्देश देने के आरोप में शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसके अलावा स्कूल को राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा एक नोटिस भी दिया गया था।
यह मामले बीते साल का है, जिसमें एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था, जिसमें कथित तौर पर शिक्षिका खुब्बापुर गांव में छात्रों से कक्षा-2 के एक मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारने के लिए कह रही थी। मामले में विवाद बढ़ने के बाद पुलिस ने आरोपी शिक्षिका के खिलाफ सांप्रदायिक टिप्पणी करने के बाद केस दर्ज किया था।
उसके बाद यह मामला शीर्ष अदालत पहुंचा तो कोर्ट ने पिछले साल 6 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि वो पीड़ित छात्र को एक निजी स्कूल में प्रवेश दिलाएं। कोर्ट ने यह आदेश महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया था।