प्रशांत भूषण केस: सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, माफीनामा दाखिल करने के लिए 24 अगस्त तक का दिया वक्त
By पल्लवी कुमारी | Published: August 20, 2020 09:51 PM2020-08-20T21:51:32+5:302020-08-20T21:51:32+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक दो ट्वीट के लिये आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। न्यायालय की अवमानना के जुर्म में उन्हें अधिकतम छह महीने तक की कैद या दो हजार रुपए का जुर्माना अथवा दोनों की सजा हो सकती है।
नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने एक्टिविस्ट अधिवक्ता (वकील) प्रशांत भूषण को अदालत की अवमानना मामले में शुक्रवार (14 अगस्त) को दोषी ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट ने 20 अगस्त को प्रशांत भूषण की सजा पर सुनवाई करते हुए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 24 अगस्त तक प्रशांत भूषण चाहें तो बिना शर्त माफीनामा दाखिल कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर प्रशांत भूषण माफीनामा दाखिल करते हैं तो 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट इसपर विचार करेगा। अगर सुप्रीम कोर्ट में 24 अगस्त तक प्रशांत भूषण माफीनाम दाखिल नहीं करते हैं तो अदालत सजा पर फैसला सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही सजा का सवाल किसी दूसरी पीठ को सौंपने के प्रशांत भूषण के अनुरोध को ठुकरा दिया है।
The Supreme Court today reserved its order on the suo motu criminal contempt of court proceedings initiated against lawyer Prashant Bhushan for his tweets against former SC judges.
— ANI (@ANI) August 20, 2020
The Court bench, in its order, asked Bhushan to submit his unconditional apology by August 24 pic.twitter.com/fSFXBWjNrP
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम आपको समय दे सकते हैं और बेहतर होगा अगर आप (भूषण) इसपर सोचें
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने भूषण से कहा, ‘‘हम आपको समय दे सकते हैं और बेहतर होगा अगर आप (भूषण) इस पर पुन:विचार करें। इस पर सोचें। हम आपको दो-तीन दिन का वक्त देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही प्रशांत भूषण को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराने के फैसले के खिलाफ दायर की जाने वाली पुनर्विचार याचिका पर निर्णय होने तक, सजा के मसले पर सुनवाई स्थगित रखने का अनुरोध भी ठुकरा दिया है।
भूषण को लक्ष्मण रेखा का ध्यान दिलाते हुये सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि इसे क्यों लांघा गया। साथ ही न्यायालय ने टिप्पणी की कि अवमानना के मामले में सजा पर बहस की सुनवाई के लिये इसे किसी दूसरी पीठ को सौंपने की बात करके ‘अनुचित’ कृत्य किया गया है।
जानें सुप्रीम कोर्ट में आज( 20 अगस्त) प्रशांत भूषण ने क्या कहा?
प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीटस के लिये माफी मांगने से इंकार कर दिया था। भूषण ने अपने बयान में कहा है, मैंने किसी आवेश में असावधान तरीके से ये ट्वीट नहीं किये। मेरे लिये उन ट्वीट के लिये क्षमा याचना करना धूर्तता और अपमानजनक होगा, जो मेरे वास्तविक विचारों को अभिव्यक्त करते थे और करते रहेंगे।’’
कार्यकर्ता अधिवक्ता ने हालांकि कहा कि वह पीठ के सुझाव पर सोचेंगे। पीठ ने इस मामले को अब 24 अगस्त के लिये सूचीबद्ध कर दिया है। पीठ ने कहा कि अगर गलती का अहसास होगा तो वह बहुत नरम हो सकती है। यह महत्वपूर्ण सुनवाई शुरू होने के कुछ मिनट बाद भूषण, जिनका प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ताा राजीव धवन और दुष्यंत दवे कर रहे थे, ने भी पीठ को संबोधित किया और महात्मा गांधी को उद्धृत किया।
भूषण ने कहा, ‘‘मैं दया के लिए नहीं कहूंगा, मैं उदारता दिखाने की भी अपील नहीं करूंगा। मैं, इसलिए, अदालत द्वारा दी जा सकने वाली किसी भी उस सजा को सहर्ष स्वीकार करने के लिये यहां हूं, जो अदालत ने एक अपराध के लिये विधि सम्मत तरीके से निर्धारित की है और मुझे लगता है कि यह एक नागरिक का सर्वोच्च कर्तव्य है।'’